हां हमारे दिल में भी हिन्दुस्तान बसता है जनाब
पिज्जा बर्गर तो बस दिखावा है
पेट तो रोटी दाल ही से ही भर पाता है जनाब
भले ही हम सात समुंदर पार हो
त्योहार तो वतन का ही भाता है जनाब
जिंदगी खानाबदोश सी हो चली है
अब यह देश भी कुछ अपना सा लगने लगा है
लेकिन जब देश में कुछ हो
तो '
यू इंडियन' सुनना किसे भाता है जनाब
आज भी बात शोपिंग की हो
दिल खोल कर खरिदारी तो इंडिया में ही हो पाता है जनाब
देसी चेहरे तो यहां भी दिख जाते हैं
लेकिन जो हिन्दी में बतिया ले
दिल उसी से मिल पाता है जनाब
भले ही बाहर से हम विदेशी रुतबे दिखाते हों
सच कहूं तो दिल में हम सबके हिन्दुस्तान ही बसता है... जनाब
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें