गुरुवार, जून 2

ख़ुश भला है कौन!


या ख़ुदा उस घर का पता बता
जहां कभी कोई भी ग़म न हो।
मैं जा कर पूछ लूं ज़रा
ये सारा माज़रा है क्या?


जहां भी नज़र जाती
हैं बेबस सब नज़र आते
कोई उल्फ़त का है मारा
तो कुछ तक़दीर का हारा
कोई इश्क में घायल
तो कोई किस्मत का है क़ायल
किसी के मन में उलझन है
तो कोई तन से बेबस है

बताओ ख़ुश भला है कौन
जग में सब हैं अब भी मौन।।

बुधवार, जून 1

मौसम का असर





ऐ मौसम ...इतना बदला न कर
हम बीमार...बहुत बीमार हो जाते हैं।।
परदेस में माँ तो हैं नहीं..
जो पल-पल हमसे हमारा हाल पूछ बैठे।।
बिस्तर पर पड़े-पड़े
बस लाचार नज़र आते हैं।।


ठहराव की आदत सी हो गई है अब तो
यू तेरे संग बदलना नहीं सीख पाई अब तक ।।
और क्यों बदल लूं मैं ख़ुद को बोल ज़रा
एक सा रहना तेरी फ़ितरत ही नहीं जब।।