मैक्सिको शहर के बीचोबीच लादियाना, रिफॉर्मा में अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक मेला लगा है....जो 14 मई से 29 मई के दौरान आयोजित किया गया है....हालांकि ये मेला जिस जगह लगा है वो स्थान मेरे निवास के बिल्कुल करीब है....और कमरे की खिड़की से मैं पूरा आयोजन आराम से बैठे-बैठे देख सकती हूं....इस मेले में हर देश ने अपनी संस्कृति से जुड़ी चिजों की प्रदर्शनी लगाई है....जिससे एक ही जगह आप देश दुनियां की संस्कृति से अवगत हो सकते हैं.....जिस दिन इस मेले का उद्घाटन हुआ..मैं और मेरे पतिदेव भी इसका लुत्फ उठाने पहुंचे....हालांकि यहां सभी स्टॉल के लिए जगह सुनिश्चित है....लेकिन मेरी नजर अपने देश के स्टॉल की तलाश में छटपटाने लगी....ढूंढ़ते ढूंढ़ते हम INDIA के स्टॉल के पास पहुंचे....हालांकि कुछ स्टॉल में खान-पीने की चिजें भी रखी थीं...इसलिए हमने सोचा INDIAN स्टॉल में भी खुछ खाने को मिल जाएगा....और मेरा मन गुपचुप खाने को बेताब हुआ जा रहा था.....मैंने सोचा INDIA वाले स्टॉल में मुझे गुपचुप तो जरूर मिल सकता है...लेकिन हाय-रे-मेरी किस्मत....स्टॉल में खानेपीने की चीजें नदारद थी..... मैंने सोचा स्टॉल में गुपचुप मिल जाता...तो मैं तो हर-रोज यहां खाने चली आती...INDIAN स्टॉल में ज्यादातर कपड़े,Artificial गहने...कुछ देवी देवताओं की मूर्तियां....और सजावट के सामान रखे गए हैं....
खैर स्टॉल देख कर मेरा मन थोड़ा खट्टा हो गया....क्योंकि मैक्सिको में मैं किसी चीज को सबसे ज्यादा मिस कर रही हूं....तो वो है अपने देश का खाना....यहां अपने देश जैसा खाना नहीं मिलता...इक्के दुक्के मिलते भी है तो अपने देश जैसा स्वाद इनमें कहां...वैसे खाना तो मैं यहां खुद ही बनाती हूं लेकिन वो स्वाद नहीं मिलता.....और अपने देश में गुपचुप की तो बात ही निराली है...
हां स्टॉल में भारतीय संगीत की धुन सुनकर मन को थोड़ी शांति मिली....हमने स्टॉल का मुआयना किया....दूर देश में अपने देश की महक ने हमे खूब लुभाया....हालांकि indian स्टॉल में खचाखच भीड़ लगी थी....और लोग जमकर खरीदारी कर रहे थे....वैसे भी हमारे देश की संस्कृति दूसरे देशों को काफी लुभाती है....यहां भी कुछ मैक्सिकन लोगों को स्टॉल पर रखा गया था ताकि लोगों को भाषा की वजह से परेशानी न हो....हालांकि स्टॉल प्रमुख की नजर हमारी ओर आकर टिक गई...ऐसा लगा जैसे अपनों ने अपने को पहचान लिया हो और परिचय का सिलसिला शुरू हुआ....बातों बातों में महाशय ने बताया की पास ही में उनकी एक दुकान भी है...और उन्होंने आने का निमंत्रण भी दे डाला....मैंने उनके स्टॉल से कुछ चीजें खरीदीं जिसपर उन्होंने काफी डिस्कॉऊंट भी किया....
हालांकि जैसी हालत मेरी यहां विदेश में आकर है वैसी ही हालत मैंने दूसरे देशों से आकर यहां रह रहे लोगों में भी देखी...जिस देश का स्टाल था वहां उस देश के लोग खिंचे चले आते नजर आए....मुझे एहसास हुआ की हर नागरिक जो जिस देश का है वो अपने देश की संस्कृति से उतना ही लगाव रखता है जितना की हमे अपने देश की संस्कृति पर गर्व है...
हालांकि जैसी हालत मेरी यहां विदेश में आकर है वैसी ही हालत मैंने दूसरे देशों से आकर यहां रह रहे लोगों में भी देखी...जिस देश का स्टाल था वहां उस देश के लोग खिंचे चले आते नजर आए....मुझे एहसास हुआ की हर नागरिक जो जिस देश का है वो अपने देश की संस्कृति से उतना ही लगाव रखता है जितना की हमे अपने देश की संस्कृति पर गर्व है...