बुधवार, जुलाई 13

दहशतगर्दों का फन लहराया

इन दिनों देश से बाहर हूं...लेकिन मुंबई धमाकों ने देश से बाहर भी लोगों का दिल दहला दिया है....दरअसल जिस वक्त मुंबई में धमाका हुआ... उस वक्त मेरे पति-देव मुंबई में किसी से इन्टरनेट से बातें कर रहे थे...मैं उस वक्त सो रही थी... क्योंकि मैक्सिको में उस वक्त सुबह का समय था....पति ने मुझे जगाया और धमाकों की जानकारी दी....मैं ह़डबड़ा कर उठी....और ऐसा लगा जैसे हम धमाकों
की गूंज LIVE सुन रहे हैं....इन पंक्तियों के रूप में....अनायास ही कुछ शब्द निकल पड़े....







दहशतगर्दों ने फिर फन लहराया
देश की जनता को एक बार फिर दहलाया....


खून की होली खेलना इन्हें हमेशा रास आया
मासूमों का खून पी-कर  क्या सममुच तुम्हें मजा आया?



ऐ...दहशतगर्दों...
मासूमों की जिंदगी लेने के लिए
क्या तुम्हें यमराज ने अपना दूत  है बनाया?


इस खून खराबे में ....
तुम किससे बदला लेना चाहते हो.... ?
क्योंकि जिन नेताओं ने इस चिंगारी को हवा दी
वो तो अपने आसियाने में हैं बिल्कुल सुरक्षित
और बहता है तो बेकसूरों का खून सारा.....


अब तो अपने घर रहने में भी लगता है...डर
क्योंकि जब देश ही सुरक्षित नहीं
तो कितना सुरक्षित है...हमारा घर?


कब तक पूरे होंगे इनके नापाक इरादे?
कब बदलेगा ये मंजर सारा?
दहशतगर्दों का फन क्यों नहीं समय पर
कुचला  है जाता?