शनिवार, मई 9

हम सब के पास है दो-दो माँ


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किस्मत हम सब की अच्छी है… हम सब के पास है दो-दो माँ
कहते हैं भगवान से बढ़कर दुनिया में होती है माँ
एक माँ ने हमको जन्म दिया, पाल-पोस कर बड़ा किया 
खून से जिसने सींचा हमको… वह है अपनी प्यारी माँ
और दूसरी वो है जिसको रिश्तों ने है जोड़ दिया
थोड़ी सख्त पर दिल की मोम बेचारी, कहलाती है सासु माँ
अपनी पूंजी सौंपी  हमको… क्यों कहलाए वो भी हमारी माँ


सास-बहू का रिश्ता  कैसा… या दुनिया का दस्तूर है ऐसा
 सास बहू की करे बुराई… या बहू हुई सास पर भारी
घर-घर की है यही कहानी, रोज सुनाए नाना-नानी
लेकिन इस दूरी को पाट  करमुझको भी अपना लो माँ
मैं जब भी दूं माँ को आवाज… आप ही पहले आओ  माँ
बेटी की हिचकी भी भांप ले जैसे , मेरी  पीड़ा समझ जाओ  माँ
सभी रिवाज़ बेटी के क्यों… कुछ अच्छे हमारे लिए बनाओ माँ


तकलीफ में जब भी होती हूं… जुबां माँ ही तो दोहराता है
पर जानें कैसा तार जुड़ा है… पिता पहले समझ पाता है
डोली जब निकली थी मेरी पहली बार वो रोया था
मुझे लगा था ऐसा जैसे कलेजे को खुद से जुदा किया

उस बगिया की फूल थी मैं…जिसको अब तुम्हें सौंप दिया
विदा हुई तो कहा था मैंने…अब मिलेगी मुझे एक दुलारी माँ
उस दिन माँ को लगा था… मैंने दो हिस्सों में बांट दिया....
फफक-फफक कर रोई उस दिन मेरी राजदुलारी माँ

उन रिश्तों को छोड़ा जिस दिन सोचो मैंने क्या खोया
उस दिन तो मेरी दुनिया ही बदल गई थी माँ
ऐसे में मेरा हाथ थाम एक माँ ने ही तो अपने पास बुलाया था
घर में मुझको प्रवेश करा कर सारा फर्ज निभाया था
मैंने भी नया रिश्ता जोड़… माँ ही तुम्हें पुकारा था


अपनी जान के लिए हजारों में आपने ही तो मुझे चुना था
बेटा आपका है आपका रहेगा... मेरे पास आप ही की अमानत है... माँ
क्योंकि उसका पहला और आख़री प्यार भी आप ही हैं ओ प्यारी  माँ
आपका बेटा अब बेटा ही नहीं, पति का भी फर्ज निभाएगा
मैं आपका ख़ून न सही पर मैंने आप ही के खून को जन्म दिया
आप ही हैं हम सब की जड़ें अपना तना बना लो माँ
बहुत अकेली हूँ मैं जग में अब तो गले लगा लो माँ


माँ के आंचल में संसार छुपा है, खुद में मुझे समा लो माँ
माना मुझको कुछ नहीं आता, बस प्यार से ये समझाओ माँ
ये फासले सिर्फ पीढ़ी के हैं...दोष न तेरा है न मेरा माँ
जिस दिन हम दोनों समझ गए यह रिश्ता दूर तलक तब जाएगा
मिलकर अगर हम साथ चलें तो हर गम हमसे घबराएगा


प्रकृति बदल रही है करवट.... देखें क्या रंग दिखाती है
आज आप एक सास हैं और एक बेटी की माँ भी....
बेटी और बहू में जो फर्क चला आ रहा है
क्या कल मैं भी उसमें ढल जाऊंगी ?
बेटी के ही सब नखरे क्यों… बहू के भी कुछ उठाऊंगी!
बनने दूंगी ससुराल में बेटी मैं बहू की सगी माँ कहलाऊंगी!
बेटी का मोह त्याग कर क्या बहू को मैं भी अपनाऊंगी!


अब एक अर्ज़ है पति से भी ....
मैंने अपनाया इन सब को
अब चलो तुम्हारी बारी है…
अगर चाहिए दो-दो माँ
बेटे का फर्ज़ निभाना होगा
प्यार चाहिए अगर दोनों का…
प्यार से ही अपनाना होगा
देखो जन्नत है यह धरती
सबको यही बताना होगा
दो-दो माँ का प्यार चाहिए
तो दोनों को गले लगाना होगा
 माँ में बसती जान हमारी
 दुनिया को यही बताना होगा

                            -    मधु चौरसि

HAPPY MOTHER'S DAY
मेरी  प्यारी दोनों माँ
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