देश में जब भी कोई त्यौहार आता है...लोगों में उसके प्रति भरपूर उत्साह देखने को मिलता है.....समय के साथ इन त्यौहारों ने अपने अंदर और भी गाढ़े रंग समेट लिए हैं......लोग पूरी परंपरा और निष्ठा से इसे मनाते हैं.....जिसमें जितनी क्षमता होती है वो उस तरीके से इसे मनाने के लिए स्वतंत्र है......लेकिन ये जरूरी नहीं कि इस उत्साह में परिवार के सभी सदस्य एक साथ हों....ग्लोबलाइजेशन के इस युग में परिवार बिखर सा गया है.....काम-काजा या पढ़ाई के लिए लोग संयुक्त परिवार में चाह कर भी नहीं रह पाते.....ऐसे में त्यौहार के वक्त अपनों की कमी खलती है....
और देखिए ना ये कैसी विडंबना है कि...पिछले करीब 10 साल से मैं अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाई हूं....कारण है....दूरी....
दरअसल भाई पहले अपनी पढ़ाई के सिलसिले में देश से बाहर था और अब काम के सिलसिले में....लेकिन इस साल वो रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर माता-पिता के पास घर पर ही था....परन्तु... कैसा संयोग है....इस बार मैं अपने देश से दूर हूं.....मैं जहां हूं वहां लोगों को राखी का मतलब भी नहीं पता.....ऐसे में यहां राखी मिलना तो संभव नहीं था... इसलिए घर पर ही मैंने रेशम के धागे से राखी बनाई....और जलेबी भी बनाने की कोशिश की थी... जो सफल भी रही....इस बार मैंने राखी थोड़े अनोखे तरीके से मनाई....
दरअसल इन्टरनेट ऐसा जरिया है जिसने मुझे अपनों से हमेशा जोड़े रखा है.....जब भी अपनों की याद आती है इन्टरनेट से ही फोन घुमा लेती हूं.... इस साल मैं रक्षाबंधन भी नेट महाराज की बदौलत ही मना पाई....SKYPE पर मैंने VIDEO कॉल किया और भाई को राखी दिखाई....इस अनोखे तरीके ने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट तो नहीं किया लेकिन मन में थोड़ी तसल्ली जरूर हुई.....पहले तो मैं अपने मुहबोले भाईयों को राखी बांध दिया करती थी... लेकिन इस साल देश से दूर रहने के कारण इन्टरनेट से राखी भेज कर ही मैंने काम चला लिया.....और पति देव से भी नेट के जरिए ही राखी का त्यौहार मनाने की सलाह दी....उन्होंने भी अपनी बहनों से बात कर राखी का त्यौहार मनाया......
और अब जब देश स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी में है....मैं पहली बार दिल्ली को बहुत मिस कर रही हूं....क्योंकि दिल्ली में मनाए जानेवाले इस राष्ट्रीय पर्व को देखने का मौका मुझे अब तक नहीं मिल पाया है.....
वहीं इस महीने तीज का त्यौहार भी मैं शायद नहीं मना पाऊं....शादी के बाद पहली बार तीज पड़ रहा है और मुझे इसके विधि-विधान के बारे में कुछ भी नहीं पता....ऐसे में मैं नहीं चाहती कि मुझसे किसी भी प्रकार की त्रुटि हो....लेकिन मैं खुश हूं क्योंकि जल्द ही अपने देश वापसी की तैयारी में हूं....
आज 14 - 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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जैसा आपने लिखा है कुछ उसी तर्ज पर हमने भी रखी का त्यौहार मनाया .. मेरी नन्द ब्रुनई में हैं तो नेट पर ही देख कर टीका लगाया और राखी भी दिखा दी और मिठाई दिखा कर खुद खा ली :):)
जवाब देंहटाएंहा हा हा....सही है.....आपने भी हाईटेक तरीके से राखी का त्यौहार मनाया.....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संगीता मैडम....
:) :) कुछ इसी तरह का राखी मेरा भी रहा :)
जवाब देंहटाएंसच में हाईटेक होते जा रहे है त्यौहार भी.
जवाब देंहटाएंसचिन को भारत रत्न नहीं मिलना चाहिए. भावनाओ से परे तार्किक विश्लेषण हेतु पढ़ें और समर्थन दें- http://no-bharat-ratna-to-sachin.blogspot.com/