नवरात्र वो पर्व है, जिसमें देवी अपनी शक्ति का संचार अपने भक्तों में करती हैं। ये पर्व प्रकृति में स्थित शक्ति को समझने और उसकी आराधना का है। प्रकृति में विभिन्न रूपों में मां शक्ति स्थित है। उसी की आराधना हम नवरात्र में करते हैं-
नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र में मां पार्वती, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है...पहले तीन दिन पार्वती के स्वरूप, फिर तीन दिन मां लक्ष्मी के स्वरूप और अंतिम तीन दिनों में मां सरस्वती के स्वरूप की पूजा की जाती है....
आदिशक्ति मां दुर्गा का पहला स्वरूप है शैलपुत्री-
पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म होने से इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है...नवरात्रि की पहली तिथि को शैलपुत्री की पूजा की जाती है...माना जाता है कि इनके पूजन से भक्त को जीवनभर किसी चीज की कमी नहीं रहती....
भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करनेवाली मां का दूसरा रूप है ब्रह्मचारिणी जिसकी उपासना करने से तप,त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है...
मां का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा है...इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है...इसी कारण उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है...इनकी पूजा अर्चना करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं...और सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है....
नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मुंडा का होता है...माना जाता है कि उनके उदर से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है..इसलिए इन्हें कुष्मुंडा कहा जाता है...इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है...
पांचवां दिन स्कंदमाता की उपासना का होता है कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है...जिनके आशीर्वाद से मोक्ष का रास्ता सुलभ हो जाता है...
महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया और इस लिए छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है...जो हमें रोग, शोक संताप, भय से मुक्ति दिलाती हैं...
सातवां दिन होता है मां
कालरात्री का जो काल का नाश करती है..इनकी पूजा अर्चना करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है...
मां का आठवां रूप है
महागौरी का इनका वर्ण गौर होने से ये महागौरी कहलाती हैं जिनकी साधना असंभव कार्य को भी संभव बना देती है...
मां का नौवां रूप है मां
सिद्धिदात्री..सभी सिद्धियों की दाता होने से मां सिद्धिदात्री कहलाती हैं..और नवरात्री के अंतिम दिन मां के इसी रूप की पूजा होती है...
ये है मां के नौ रूप...जिनकी उपासना से शक्ति और समृद्धि मिलती है...और मां की शरण में आनेवाला भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटता....