थाईलैंड जिसका प्राचीन भारतीय नाम श्याम्देश था ..इसे सियाम के नाम से भी जाना जाता है...थाई शब्द का अर्थ थाई भाषा में आज़ाद होता है। 1992 में हुई सत्ता पलट में थाईलैंड एक नया संवैधानिक राजतंत्र घोषित कर दिया गया।...बौद्घ धर्म के अनुयायियों की ये धार्मिक स्थली मानी जाती है...लेकिन धर्म की इस नगरी को सबने खून से लाल होते देखा....
थाईलैंड में भले ही अब हालात सामान्य हो गए हों और जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने लगी हों...लेकिन पिछले कुछ दिनों में शांत कहे जाने वाले इस देश में अशांति का आलम व्याप्त रहा...स्कूल, सड़कें, सरकारी एजेंसियां आदि कई दिनों तक बंद रहे....
बौद्ध अनुयायियों के लिए प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कहे जानेवाले थाईलैंड का पिछले कुछ दिनों में...रक्त रंजित चेहरा सामने आया...सरकार विरोधी लाल कमीज धारकरों के विरोध प्रदर्शन ने विश्व पटल पर देश की छवि धुमिल की...ऐसे में पिछले कुछ महीनों से चल रहे विवाद ने देश की आर्थिक दशा को तो नुकसान पहुंचाया ही....यहां आनेवाले पर्यटकों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया....इससे देश के पर्यटन विभाग को मिलनेवाले राजस्व में कितना नुकसान हुआ होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है....देश की दुर्दशा को देखते हुए विदेशी पर्यटकों ने अपनी थाईलैंड की यात्रा रद्द कर दी....इस बीच यहां के पर्यटन स्थल पर्यटकों की बाट जोहते रहे
काफी दिनों से चल रहे विवाद ने देश के कारोबार पर भी खासा असर डाला....थाइलैंड का व्यापार काफी दिनों ठप्प पड़ा रहा..... यहां चल रहा गृह युद्ध देश की आम जनता के लिए भी परेशानी का सबब बन गई
प्रधानमंत्री अभिसीत के ख़िलाफ़ हज़ारों की संख्या में लोगों ने बैंकाक की सड़कों पर महीनों डेरा डाले रखा... लाल कमीज़ में ये प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े और नए चुनावों की मांग करते रहे....हालातों पर काबू न होता देख सकरार ने यहां कर्फ्यू भी लगाया...प्रदर्शनकारियों और सेना के बीच हुई झड़पों में अब तक कितने ही लोग मारे गए और कई दर्जन लोग घायल भी हुए...लेकिन आखिरकार विरोध प्रदर्शनकारियों को पीछे हटना पड़ा.... पूर्व प्रधानमंत्री थाकशिन शिनावात्रा के समर्थक प्रदर्शनकारी नया चुनाव चाहते रहे....उनका कहना था कि वर्तमान सरकार अवैध है क्योंकि वो चुनाव जीतकर सत्ता में नहीं आई. ..लाल कमीज़ धारी प्रदर्शनकारी चाहते थे कि संसद भंग की जाए और नए चुनाव कराए जाएं....लेकिन वर्तमान सरकार इसके पक्ष में नहीं रही...हालांकि प्रधानमंत्री ने 14 नवंबर की चुनाव की तारीख़ दी है....वैसे थाइलैंड में अगले साल नवंबर में चुनाव होने हैं.... लेकिन लंबे समय तक चले इस विवाद का परिणाम क्या निकला..किसके खाते में क्य़ा-क्या आया...ये सोचने वाली बात है....पूरे प्रकरण में नुकसान वहां की आम जनता को उठाना पड़ा...यदि देश में प्रजातंत्र है तो अगले चुनाव में वो खुल कर सामने आ ही जाएगा....अब देखना ये होगा कि जनसमर्थन किसे हासिल होता है..प्रधानमंत्री अभिसीत वेजाजिवा को या फिर लाल कमीजधारी प्रदर्शनकारियों के नेता थाकशिन शिनावात्रा को....