कौन कहता है शराब पीना या सिगरेट पीना ही सिर्फ बुरी लत्त या यू कहें की नशा है...? लत्त अब कई तरह के हो गए हैं... जैसे इंटरनेट की लत्त....फोन पर बाते करने की लत्त...टीवी देखने का नशा... कुछ ख़रीदने यानी शॉपिंग का नशा...आधुनिक उपकरण बाज़ार में आए नहीं की उसे झट से ख़रीद लेने का नशा...ज्यादा बोलने की लत्त...कुछ लिखने या पढ़ने का नशा......घूमने की लत्त......खेलने का नशा...और भी कई तरह का नशा हैं
नेट का नशाइनमें इंटरनेट का नशा आज सिर चढ़कर बोल रहा है...युवा ही नहीं बच्चे भी इंटरनेट से चिपके नज़र आते हैं...नेट पर घंटों बीत जाता हैं और पता ही नहीं चलता...सारे कामकाज छोड़कर लोग नेट पर बैठे रहते हैं...लोग हर रोज़ सुबह-शाम अपना मेल चैक करना नहीं भूलते...नेट ऐसा माध्यम बनता जा रहा है जिसके बिना लगता है सारा काम अधूरा है...नेट पर चैट करना हो या विडियो कॉन्फ्रेंसिंग...लोग इनमें खूब समय बर्बाद करते हैं....और रम जाते हैं...बच्चों के लिए तो गेम्स की भरमार नेट पर मौजूद है...पिक्चर्स देखनी हो गाने सुनने हो या फिर खेल की ताज़ा जनाकारी लेनी हो…पलक झपकते ही आपके सामने सबकुछ हाज़िर है...ऐसा लगता है अलादीन का चिराग हो नेट...समाचार जानना हो या किसी गहन मुद्दे की अपटुडेट जानकारी हासिल करनी हो सबकुछ आपको मिल जाएगा इसपर...आप नेट के माध्य से दुनियाभर से जुड़ सकते हैं...आज तो फोन पर भी नेट मुहैया करा दी गई है...लोग दिनरात नेट से जुड़े रहते हैं...वैसे बड़े काम की चीज़ है ये नेट...और इसका नशा ऐसा कि एक बार लग जाए तो जीवनभर आप इससे छुटकारा नहीं पा सकते...
फोन की लत्त
मोबाइल ही नहीं लैंडलाइन पर भी लोग घंटों बतियाते रहते हैं...ऐसा नहीं है कि लोग हर समय काम की ही बातें करते हैं...लोगों के पास ढेर सारा समय है फोन पर बर्बाद करने के लिए...दिनभार की जानकारी हासिल करनी हो या किसी की चुगली करनी हो लोग फोन का सही इस्तेमाल करना जानते हैं…प्रेमी प्रेमिका के लिए तो बड़े काम की चीज़ है ये फोन औऱ ऊपर से फोन पर कुछ चार्ज लेकर 24 घंटे फ्री सेवा ने तो इनका काम और भी आसान कर दिया है...एक दिन आपका फोन खराब हो जाए या आपका फोन गुम हो जाए ऐसा लगता है जैसे दुनिया से आप बिल्कुल कट से गए हों...
टीवी देखने या
फोन की लत्तमोबाइल ही नहीं लैंडलाइन पर भी लोग घंटों बतियाते रहते हैं...ऐसा नहीं है कि लोग हर समय काम की ही बातें करते हैं...लोगों के पास ढेर सारा समय है फोन पर बर्बाद करने के लिए...दिनभार की जानकारी हासिल करनी हो या किसी की चुगली करनी हो लोग फोन का सही इस्तेमाल करना जानते हैं…प्रेमी प्रेमिका के लिए तो बड़े काम की चीज़ है ये फोन औऱ ऊपर से फोन पर कुछ चार्ज लेकर 24 घंटे फ्री सेवा ने तो इनका काम और भी आसान कर दिया है...एक दिन आपका फोन खराब हो जाए या आपका फोन गुम हो जाए ऐसा लगता है जैसे दुनिया से आप बिल्कुल कट से गए हों...
टीवी देखने या न्यूज पेपर पढ़ने का नशा
ये भी अजीब बीमारी है इसके मरीज़ बिना टीवी देखे या बिना अखबार पढ़े एक दिन भी नहीं रह सकते...वैसे टीवी यानी बुद्धू बॉक्स ने सबके मनोरंजन का ठेका उठा रखा है...हर वर्ग को ध्यान में रखकर इसमें मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराए जाते हैं...घर की गृहणियों के लिए सास बहू के सीरियल और फिल्मी जगत की चटर-पटर हैं तो वहीं युवाओं के लिए अनेक संगीत और खेल चैनल...बुजुर्गों के लिए समाचार और अर्थव्यवस्था से जुड़ी खबरें हैं योगा और हास्य मनोरंजन से भरपूर सीरियल हैं तो बच्चों के लिए कार्टून और ढेर साले रियलीटि शो हैं
वहीं अखबार एक दिन देर से ही सही लेकिन लोगों को लिखित जानकारी मुहैया कराता है...इतनी सारी चीज़ें आपको एक साथ मिल जाए तो आप भला इनके चंगुल से खुद को कैसे बचा सकते हैं?
ये भी अजीब बीमारी है इसके मरीज़ बिना टीवी देखे या बिना अखबार पढ़े एक दिन भी नहीं रह सकते...वैसे टीवी यानी बुद्धू बॉक्स ने सबके मनोरंजन का ठेका उठा रखा है...हर वर्ग को ध्यान में रखकर इसमें मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराए जाते हैं...घर की गृहणियों के लिए सास बहू के सीरियल और फिल्मी जगत की चटर-पटर हैं तो वहीं युवाओं के लिए अनेक संगीत और खेल चैनल...बुजुर्गों के लिए समाचार और अर्थव्यवस्था से जुड़ी खबरें हैं योगा और हास्य मनोरंजन से भरपूर सीरियल हैं तो बच्चों के लिए कार्टून और ढेर साले रियलीटि शो हैं
वहीं अखबार एक दिन देर से ही सही लेकिन लोगों को लिखित जानकारी मुहैया कराता है...इतनी सारी चीज़ें आपको एक साथ मिल जाए तो आप भला इनके चंगुल से खुद को कैसे बचा सकते हैं?
शॉपिंग का नशाकुछ लोगों को शापिंग का नशा इस कदर होता है कि बाज़ार में चीज़ आई नहीं की बस इसे ख़रीदना हैं...महिलाओं और लड़कियों को जहां कपड़े और गहने ख़रीदने का नशा होता है नए डिजाइन के कपड़े बाजार में आए और उनके पास वो परिधान होने चाहिए...उस डिजाइन के गहने पहनने हैं तो पहनने हैं...वहीं युवाओं को नई बाइक्स औऱ नया हैंडसेट (मोबइल) खरीदने का नशा छाया रहता है...कुछ लोगों को नई गाड़ी ख़रीदने का नशा होता है तो कुछ को नया घर खरीदने का...
बोलने की लत्त कुछ लोग इतने बातूनी होते हैं कि उन्हें ख़ुद ही नहीं पता होता है कि वे क्या बोल रहे हैं...कब क्या बोलना है...इससे अनजान वे कभी भी कुछ भी बोल जाते हैं...कई बार अपनी इस हरकत के कारण तो वे लोगों का भरपूर मनोरंजन करते हैं लेकिन कई बार अपनी इस आदत के कारण बुरी तरह फंस भी जाते हैं...लेकिन उनके मुंह पर ताला नहीं लगाया जा सकता...वैसे बोलना भी एक कला है…जो सबके बस की चीज़ नहीं…कुछ लोग तो अपने बोलने की आदत से ही लोगों के बीच मशहूर हो जाते हैं...और लोगों को उनकी कमी खलती है
लिखने या पढ़ने का नशा
लिखने या पढ़ने का नशा अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कुछ लोग लेखन कार्य पर भरोसा करते हैं...वैसे भी अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम है लेखन कला...इसके माध्य से आप अपने दिल की बात बेहद आसानी से दुनिया के सामने रखते हैं...कुछ लोगों को लेखन का बड़ा शौक होता है...बिना लिखे उनका वक्त ही नहीं गुज़रता...वैसे ये ऐसा माध्यम है जो आपको मर कर भी अमर बना सकता है...कई लेखक...शायर...कवि...पत्रकार अपनी लेखन कला से मरकर भी अमर हो गए...दुनिया आज भी उन्हें याद करती है...और लोग उसे पढ़ते हैं उनका सम्मान करते हैं...
देखा जाए तो कुछ लोगों की पढ़ने का ऐसा चस्का होता है कि वो अपनी किताबों में इस कदर खो जाते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चलता की उनके आस-पास हो क्या रहा है...दीन-दुनिया से बेख़बर वो अपनी किताबों में आंखें गड़ाए रहते हैं...
एक बार मैं अपने पापा के साथ एक एक्जाम देने बनारस जा रही थी...ट्रेन में मैंने एक लड़की को देखा...देखने में तो वो टॉम ब्वॉय जैसी लगी...वो भी मेडिकल का एक्जाम देने दिल्ली जा रही थी...मोटी सी किताब उसके हाथ में....हालांकि मैं भी अपनी किताबों में खोई थी...लेकिन उस लड़की ने तो सुबह १० बजे से शाम ६ बजे तक लगातार आंखें गड़ाए रखा...मैंने तो बीच में थोड़ी देर के लिए आराम भी किया लेकिन उसने अपनी पलकें एक पल के लिए भी नहीं झपकी...मैं उसे देखकर दंग रह गई
घूमने का नशा
कुछ लोगों का देश दुनिया घूमने का नशा होता है...वैसे देखा जाए तो हर इंसान के दिल में दुनिया देखने की इच्छा होती है...कुछ लोग अपनी छुट्टियों का भरपूर फायदा घूमकर ही तो निकालते हैं...देश विदेश के पर्टयन स्थलों के साथ साथ लोगों को एडवेचर्स प्लेस जाने का भी नशा होता है...इसके लिए लोग नदी...तालाब..पहाड़ की कंदराओं गुफाओं में खोज पर निकलते हैं..बर्फीले पहाड़ों पर घूमते हैं...समुद्र की गहराइयों को नापते हैं...वैसे ये नशा है बड़ा ही शानदार...और दिलचस्प
खेलने की लत्त
खेल के नशे की गिरफ्त में दुनियाभर के आधे से ज्यादा लोग घिरे हैं...क्रिकेट के प्रति लोगों की दीवानगी तो सबसे ज्यादा है...देखना ही नहीं लोग स्वयं खेलना भी बेहद पसंद करते हैं...लड़कों के लिए तो क्रिकेट सबसे रोचक खेल है...हर वर्ग के लोग इसको इंज्वॉय करते हैं...खासतौर पर जब इंडिया और पाकिस्तान के बीच मैच हो तो...मैच ऐतिहासिक बन जाता है...कई घरों में तो टीवी तक लोग फोड़ डालते हैं...भले ही हर महीने कोई न कोई मैच आयोजित हो रहे हैं...लेकिन लोगों की दीवानगी देखते ही बनती है...इसके अलावा भी कुछ लोग हॉकी, टेनिस और अन्य खेलों के प्रति रुझान दिखातें हैं...खासतौर पर जब मैराथन का आयोजन होता है तो प्रतिभागियों के साथ-साथ नेता और अभिनेता भी इसमें अपनी भागिदारी निभाते हैं
कुल मिलाकर देखा जाए तो आज पूरी दुनिया किसी न किसी नशे की गिरफ्त में हैं
घूमने का नशाकुछ लोगों का देश दुनिया घूमने का नशा होता है...वैसे देखा जाए तो हर इंसान के दिल में दुनिया देखने की इच्छा होती है...कुछ लोग अपनी छुट्टियों का भरपूर फायदा घूमकर ही तो निकालते हैं...देश विदेश के पर्टयन स्थलों के साथ साथ लोगों को एडवेचर्स प्लेस जाने का भी नशा होता है...इसके लिए लोग नदी...तालाब..पहाड़ की कंदराओं गुफाओं में खोज पर निकलते हैं..बर्फीले पहाड़ों पर घूमते हैं...समुद्र की गहराइयों को नापते हैं...वैसे ये नशा है बड़ा ही शानदार...और दिलचस्प
खेलने की लत्तखेल के नशे की गिरफ्त में दुनियाभर के आधे से ज्यादा लोग घिरे हैं...क्रिकेट के प्रति लोगों की दीवानगी तो सबसे ज्यादा है...देखना ही नहीं लोग स्वयं खेलना भी बेहद पसंद करते हैं...लड़कों के लिए तो क्रिकेट सबसे रोचक खेल है...हर वर्ग के लोग इसको इंज्वॉय करते हैं...खासतौर पर जब इंडिया और पाकिस्तान के बीच मैच हो तो...मैच ऐतिहासिक बन जाता है...कई घरों में तो टीवी तक लोग फोड़ डालते हैं...भले ही हर महीने कोई न कोई मैच आयोजित हो रहे हैं...लेकिन लोगों की दीवानगी देखते ही बनती है...इसके अलावा भी कुछ लोग हॉकी, टेनिस और अन्य खेलों के प्रति रुझान दिखातें हैं...खासतौर पर जब मैराथन का आयोजन होता है तो प्रतिभागियों के साथ-साथ नेता और अभिनेता भी इसमें अपनी भागिदारी निभाते हैं
कुल मिलाकर देखा जाए तो आज पूरी दुनिया किसी न किसी नशे की गिरफ्त में हैं



इटली में जन्मी सोनिया से जब राजीव गांधी ने शादी की थी तब किसे पता था कि एक दिन सोनिया देश की जनता के दिलों पर राज करेगी...एक विदेशी बहू ने देश की संस्कृति और सभ्यता को बेहद अनोखे अंदाज में अपनाया है...पाश्चात्य परिधान छोड़ भारतीय परिधान को पूरी तरह तवज्जो दी है...देश की जनता के दिलों में राज करने के लिए हिन्दी को अपनाया... सोनिया दिखावे की भावना से परे हैं...हालांकि पति राजीव गांधी की हत्या के बाद कोंग्रेस के वरिष्ट नेताओं ने सोनिया से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाये जाने की घोषणा कर दी लेकिन सोनिया ने इसे स्वीकार नहीं किया और राजनीति और राजनीतिज्ञों के प्रति अपनी घृणा और अविश्वास को इन शब्दों में व्यक्त किया कि “मैं अपने बच्चों को भीख मांगते देख लूँगी, परंतु मैं राजनीति में कदम नहीं रखूँगी।“ काफ़ी समय तक राजनीति में कदम न रख कर उन्होंने अपने बेटे और बेटी का पालन पोषण करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया। लेकिन पी वी नरसिंहाराव के कमज़ोर प्रधानमंत्रित्व काल के कारण 1996 का आम चुनाव हार गई और उसके बाद सीताराम केसरी के कांग्रेस के कमज़ोर अध्यक्ष होने से कांग्रेस का समर्थन कम होता चला गया...जिससे कांग्रेस के नेताओं ने फिर से नेहरु-गांधी परिवार के किसी सदस्य की आवश्यकता अनुभव की। उनके दबाव में सोनिया गांधी ने 1997 में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की और उसके 62 दिनों के अंदर 1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं। उन्होने सरकार बनाने की असफल कोशिश भी की। राजनीति में कदम रखने के बाद उनका विदेश में जन्म हुए होने का मुद्दा उठाया गया । उनकी कमज़ोर हिन्दी को भी मुद्दा बनाया गया। उन पर परिवारवाद का भी आरोप लगा लेकिन कोंग्रेसियों ने उनका साथ नहीं छोडा और इन मुद्दों को नकारते रहे। एन डी ए के नेताओं ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल पर आक्षेप लगाए ... सुषमा स्वाराज और उमा भारती जैसी नेताओं ने घोषणा कर दी कि यदि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनीं तो वो अपना सिर मुँडवा लेंगीं और जमीन पर ही सोयेंगीं। राष्ट्रीय सुझाव समिति का अध्यक्ष होने के कारण सोनिया गांधी पर लाभ के पद पर होने के साथ लोकसभा का सदस्य होने का आक्षेप लगा जिसके फलस्वरूप 23 मार्च 2006 को उन्होंने राष्ट्रीय सुझाव समिति के अध्यक्ष के पद और लोकसभा की सदस्यता दोनों से त्यागपत्र दे दिया। मई 2006 में वे रायबरेली, उत्तरप्रदेश से पुन: सांसद चुनी गई और उन्होंने अपने समीपस्थ प्रतिद्वंदी को चार लाख से अधिक वोटों से हराया। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिर यूपीए के लिए देश की जनता से वोट मांगा। एकबार फिर यूपीए ने जीत हासिल की और सोनिया यूपीए की अध्यक्ष चुनी गई.
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खूबसूरती का ताज जिसके सिर सजता है वहीं सुंदरी खूबसूरत लगने लगती है...खूबसूरती की प्रतियोगिता में एक से बढ़कर एक सुंदरियां अपने-अपने देशों से चयनित हो कर आती हैं...कई बाधाओं को पार कर वो उस मुकाम तक पहुंचती हैं...और वहां भी प्रतिभागियों के बीच मुकाबला काफी कड़ा होता है...उस स्टेज पर ब्यूटी विद ब्रेन का चयन किया जाता है...सभी देशों की एक से बढ़कर एक बालाएं अपनी खूबसूरती का परिचय देने आती हैं...इतनी सुंदरियों के बीच जिसका चयन किया जाता है वो भी ताज पहनने से पहले तक तो उन सबके बीच सामान्य सी दिखती हैं...लेकिन जैसे ही खूबसूरती का वो ताज...किसी एक सुंदरी के सिर सजता है...उस सुंदरी की खूबसूरती और बढ़ जाती है...क्या उस ताज में कोई खूबी है कि एक सामान्य सी दिखने वाली बाला को भी वो और सुंदर और न केवल फैशन जगत की...बल्कि दुनिया की राजकुमारी बना देता है...कम उम्र की बालाएं अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए सुंदरता के साथ-साथ अपनी बु्द्धि और विवेक का भी परिचय देतीं हैं 