

मीडिया में महिलाओं का बर्चस्व बढ़ता जा रहा है...आज महिलाएं भी मीडिया क्षेत्र में पुरूषों के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहीं हैं...न केवल वेतन बल्कि...काम के तौर पर भी महिलाएं पीछे नहीं हैं...महिलाओं को भी पुरूषों के समान ही वेतन और भत्ता मिलता है... हालांकि लोगों की ऐसी धारनाएं होती हैं कि मीडिया में महिलाएं सुरक्षित नहीं...उन्हें दिन- दोपहर, सुबह शाम यहां तक की रात की शिफ्ट में भी काम करना पड़ता हैं...जहां तक सवाल है महिलाओं की सुरक्षा का...तो मीडिया की महिलाओं पर कोई बुरी नज़र डालने से पहले भी सौ बार सोचता है...क्योंकि इस क्षेत्र में वही महिलाएं टिक सकती हैं जो पूरी तरह बोल्ड हो...जी हां......बोल्ड का मतलब ऐसी महिलाएं जो जुझारू हो...तेज़ तर्रार हो...और बुरे वत्त में धैर्य और हिम्मत से काम लेना जानती हो...मीडिया हाउस में तो कोई ऐसी हिमाक़त ही नहीं कर सकता... कभी-कभी मीडिया हाउस से बाहर या रिपोर्टिंग के समय उसे मुश्किल की घड़ियों से गुज़रना पड़ सकता है...वहां लड़के उनके साथ छेड़खानी तो नहीं छीटाकशी कर सकते हैं...लेकिन वहां एक ड्राइवर और एक कैमरामैन हमेशा उनके साथ होते हैं...और कुछ नहीं तो पब्लिक तो होती ही है...लेकिन हां अगर एक महिला पत्रकार ख़ुद चाहे किसी के साथ रिश्ता बनाना तो भला उसे कौन रोक सकता है...
दिल्ली और मुंबई को तो मीडिया का हब माना जाता है... और इन शहरों में महिला पत्रकारों की संख्या सबसे ज्यादा है...वहीं हैदराबाद...रायपुर...भोपाल जैसे शहरों में भी महिला पत्रकारों की संख्या में इजाफ़ा देखने को मिल रहा है...क्षेत्रीय चैनलों में महिला पत्रकार बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं...देखा जाए तो महिला पत्रकार आज विदेशों में भी अपना परचम लहराने में कामयाब हो रही हैं...नेश्नल चैनल महिला पत्रकारों पर भरोसा कर उन्हें भी विदेशों में काम करने के अवसर प्रदान कर रहे हैं...इराक युद्ध के दौरान राखी बख्शी ने रिपोर्टिंग कर लोगों को चौका दिया तो वहीं श्वेता तिवारी क्रिकेट की ख़बर के कवरेज़ के लिए लंदन तक पहुंच गई...हिन्दुस्तान की संपादक मृणाल पांडे ने प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा में कई बार शामिल होकर देश का गौरव बढ़ाया है... मीडिया में कई महिला पत्रकार अपनी काबीलियत के दम पर राज कर रहीं हैं...शीतल राजपूत...रितू कुमार, नीलम शर्मा हो या अल्का सक्सेना...सभी मंजी हुई पत्रकारों ने पत्रकारिता की मिसाल पेश की है...एक बात और आपके टीवी स्क्रीन पर जो खूबसूरत चेहरे दिखाई देते हैं केवल उन्हें ही बड़ा पत्रकार नहीं कहा जाता...बल्कि जिन महिलाओं ने रिपोर्टिंग के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई वो भी इन महिला पत्रकारों से किसी मामले में कम नहीं होतीं...स्क्रीपट राइटर हो या कॉपी एडिटर वो भी इन चमकते हुए चेहरों के बराबर ही वेतन और सुविधाएं पातीं हैं...
एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां महिलऔं को थोड़ी कम तरज़ीह मिल पाई है और वो है...क्राइम सेक्टर...इसमें आज भी पुरूषों का बोलबाला हैं...कभी कदार ही महिलाएं आपको क्राइम की रिपोर्ट सुनाती नज़र आएंगी...कुछ महिलाओं ने इस ओर भी कदम बढ़ाया...लेकिन शायद दर्शकों को ये बदलाब नहीं जमा...दर्शक भी महिलाओं को सॉफ्ट और ग्लैमर्स लुक में देखना पसंद करते हैं...देखा जाए तो महिलाएं रिप्रजेंटेशन के मामले में काफी सतर्क होती हैं...
कुल मिलाकर देखा जाए तो मीडिया सेक्टर महिलाओं के लिए सुरक्षित तो है ही साथ ही यह काफी आकर्षक क्षेत्र भी है...इस फील्ड में अपको इज्ज़त भी काफी मिलती है...और शोहरत भी...इस क्षेत्र में केवल आकर्षक चेहरा काम नहीं आता...बल्कि इसमें आपके तुरंत निर्णय लेने की क्षमता और सूझबूझ काम आता है.... शो पीस की तरह आपको कोई चैनल नहीं झेलता...बल्कि आपका काम बोलता है...रिपोर्टिंग के क्षेत्र में तो आप जितना सिंपल दिखती है आपका रिप्रजेंटेशन उतना ही ओथेंटिक होता है... निर्भर करता है कि आप उस ख़बर को कैसे मोड़ देतीं हैं...एक छोटी से छोटी ख़बर को भी आकर्षक तरीके से पेश कर पाती है या नहीं...मीडिया में कई ऐसी शख्सियत मौजूद हैं जिसे आगर आप देखेंगे तो आपको वो बिल्कुल सिंपल और आम लोगों की तरह ही नजर आए...लेकिन एक साधारन सी दिखने वाली पत्रकार भी कब आपकों गज़ब का कारनामा करते दिख कोई नहीं कह सकता...