गुरुवार, अक्तूबर 8

बिग बी का जादू


‘अमिताभ बच्चन’ एक ऐसा नाम जिसमें अनोखा तेज़ झलकता है...इस तेज के समक्ष सभी पात्र फीके नज़र आते हैं...आज भी उनकी आवाज़ में वो दमखम है जिसके सामने सबकी आवाज़ दब सी जाती है...कैमरे के समक्ष संवाद प्ररस्तुत करने की कला में तो अमित जी माहिर हैं...हालांकि जितने भी संवाद वो बोलते हैं उनमें से ज्यादातर संवाद पहले से लिखे होते हैं...लेकिन कैमरे के सामने वो इस कदर उस संवाद को प्रस्तुत करते हैं मानो वो किसी जीवित व्यक्ति से सीधे मुंह बात कर रहे हों...उनकी इसी कला के तो दर्शक कायल हैं...उनकी हंसी पर जनता हंसती है और उनकी उदासी पर उदाह हो जाती है...जब अमित जी रोते हैं तो दर्शक का दिल भी बोझिल हुए बिना नहीं रह सकता...बात बड़े पर्दे की हो या छोटे पर्दे की...वो जिस ओर रुख करते हैं जनता उसी ओर खिंची चली आती है...आज बॉलीवुड का हर किरदार उनके सामने बौना पड़ जाता है...उनकी प्रतिभा के सामने कोई टिक ही नहीं पाता...उम्र के इस पड़ाव पर भी अमिताभ एक हिट नाम है...फिल्मों में तो कई पात्र अहम होते हैं लेकिन जिस चरित्र को बीग बी जीते हैं उसको भली भांती जीवंत बना देते हैं...फिल्म का हिट या फ्लॉप होना कई पहलुओं पर निर्भर करता है...मसलन फिल्म की...कहानी उसकी स्क्रीप्ट...संवाद...गाने...अभिनेता..अभिनेत्रियों की सहभागिता...लेकिन अगर अमित जी किसी विज्ञापन में हो या किसी टीवी शो में तो इस विज्ञापन और शो के हिट होने की 100 प्रतिशत गारंटी तो हो ही जाती है...




संघर्ष के दिनों में कई निर्माता- निर्देशकों ने अमिताभ बच्चन को उनकी खामियां गिनाकर फिल्मों में लेने से मना कर दिया था। इतना ही नहीं जब वह आकाशवाणी में गए तो वहां उनकी आवाज को खारिज कर दिया गया, लेकिन उन्होंने अपनी इन सभी खामियों को गुणों में बदलकर यह साबित कर दिया कि उन्हें नकारने वाले ही गलत थे। फिल्म समीक्षकों की नजर में ही नहीं दर्शकों ने भी बिग बी की सफलता से उन्हें मिलेनियम स्टार से भी काफी आगे पहुंचा दिया है।






अमित जी की एक बात मेरे दिल को छू जाती है और वो है उनके ब्लॉग लिखने की कला...अपनी व्यस्त दिनचर्या में से वे इतना वक्त निकाल लेते हैं...और समय-समय पर अपने ब्लॉग को अपडेट कर लेते हैं...वाकई काबिले तारीफ़ है...मैं उनकी इस अदा की कायल हूं...

1 टिप्पणी: