हम गरीब हैं....
हमारे पास सब कुछ है, लेकिन फिर भी हम गरीब हैं...
हमारे पास प्रतिभा है, लेकिन हम गरीब हैं...
क्योंकि देश में प्रतिभा की पहचान नहीं...
प्रतिभाशाली छात्र देश छोड़ विदेशों का रुख कर रहे हैं...
क्योंकि हम गरीब हैं...
हमारे पास सभी संसाधन हैं
लेकिन उसका सही इस्तेमाल हम नहीं करते
हमारे पास आधुनिक यंत्र बनाने की क्षमता है
लेकिन हम गरीब हैं...उसे बनाने के लिए हमारे पास पूंजी नहीं
क्योंकि हम गरीब हैं...
हम एसी ऑफिस में काम करते हैं
हम एसी गाड़ियों में घूमते हैं...
जरुरत पड़ने पर हम हवाई यात्रा भी करते हैं
लेकिन फिर भी हम कहते हैं हम तो गरीब हैं
हम अपनी कमाई का सारा धन बैंकों में जमा करते हैं
और कहते हैं हम मध्यमवर्गी हैं
क्योंकि हम गरीब हैं...
हमारे घर में सभी आधुनिक उपकरण मौजूद हैं
लेकिन हमारे पास दिखावे के लिए कुछ भी नहीं...
क्योंकि हम गरीब हैं...
देश का सारा काला धन विदेशों में जमा होता है
क्योंकि हम आधुनिक गरीब हैं...
हमारे पास सब कुछ है, लेकिन फिर भी हम गरीब हैं...
हमारे पास प्रतिभा है, लेकिन हम गरीब हैं...
क्योंकि देश में प्रतिभा की पहचान नहीं...
प्रतिभाशाली छात्र देश छोड़ विदेशों का रुख कर रहे हैं...
क्योंकि हम गरीब हैं...
हमारे पास सभी संसाधन हैं
लेकिन उसका सही इस्तेमाल हम नहीं करते
हमारे पास आधुनिक यंत्र बनाने की क्षमता है
लेकिन हम गरीब हैं...उसे बनाने के लिए हमारे पास पूंजी नहीं
क्योंकि हम गरीब हैं...
हम एसी ऑफिस में काम करते हैं
हम एसी गाड़ियों में घूमते हैं...
जरुरत पड़ने पर हम हवाई यात्रा भी करते हैं
लेकिन फिर भी हम कहते हैं हम तो गरीब हैं
हम अपनी कमाई का सारा धन बैंकों में जमा करते हैं
और कहते हैं हम मध्यमवर्गी हैं
क्योंकि हम गरीब हैं...
हमारे घर में सभी आधुनिक उपकरण मौजूद हैं
लेकिन हमारे पास दिखावे के लिए कुछ भी नहीं...
क्योंकि हम गरीब हैं...
देश का सारा काला धन विदेशों में जमा होता है
क्योंकि हम आधुनिक गरीब हैं...
अंत में कविता ने हम को विभक्त करते हुए परिभाषित कर दिया है. सुंदर !
जवाब देंहटाएं