गुरुवार, अक्तूबर 8

खूबसूरती का ताज








खूबसूरती का ताज जिसके सिर सजता है वहीं सुंदरी खूबसूरत लगने लगती है...खूबसूरती की प्रतियोगिता में एक से बढ़कर एक सुंदरियां अपने-अपने देशों से चयनित हो कर आती हैं...कई बाधाओं को पार कर वो उस मुकाम तक पहुंचती हैं...और वहां भी प्रतिभागियों के बीच मुकाबला काफी कड़ा होता है...उस स्टेज पर ब्यूटी विद ब्रेन का चयन किया जाता है...सभी देशों की एक से बढ़कर एक बालाएं अपनी खूबसूरती का परिचय देने आती हैं...इतनी सुंदरियों के बीच जिसका चयन किया जाता है वो भी ताज पहनने से पहले तक तो उन सबके बीच सामान्य सी दिखती हैं...लेकिन जैसे ही खूबसूरती का वो ताज...किसी एक सुंदरी के सिर सजता है...उस सुंदरी की खूबसूरती और बढ़ जाती है...क्या उस ताज में कोई खूबी है कि एक सामान्य सी दिखने वाली बाला को भी वो और सुंदर और न केवल फैशन जगत की...बल्कि दुनिया की राजकुमारी बना देता है...कम उम्र की बालाएं अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए सुंदरता के साथ-साथ अपनी बु्द्धि और विवेक का भी परिचय देतीं हैं

साल 1994 भारत के लिए बेहद खास रहा...क्योंकि खूबसूरती की दुनिया में देश ने इतिहास रच दिया था...एक साथ ऐश्वर्या राय और सुष्मिता सेन ने पूरी दुनिया के फैशन जगत में भारत के नाम का परचम लहराया था...देश आज भी उस पल को नहीं भूल पाया है...उसके बाद घर-घर में लोग फैशन के बदलते ट्रेंड को अपनाने लगे थे...ऐसा नहीं है कि पहले लोग फैशन के प्रति जागरुक नहीं थे...फिल्मों के ज़रिये लोग अपने फैशन में समय-समय पर बदलाव करते रहे हैं...लेकिन ऐश और सुष ने फैशन को नया आयाम दिया...इसके बाद साल 1997 में डायना हेडेन ने ताज जीत कर देश को गौरवान्वित किया...फिर बारी आई युक्ता मुखी की साल 1999 में युक्ता ने परचम लहराया...वहीं साल 2000 में भारत के नाम तीन ताज आया...खूबसूरती की प्रतियोगिता में लारा दत्ता, प्रियंका चोपड़ा और दीया मिर्जा ने इतिहास रच दिया...भारत अब फिर से इस इतिहास को दोहराने की बाट जोह रहा है...सुंदरियां प्रतियोगिता में चयनित होकर जातीं हैं तो पूरे देश की नज़रें इस प्रतियोगिता पर टिक जाती हैं...लेकिन जैसे ही परिणाम घोषित होता है...और निराशा हाथ लगती है...पूरा देश शोक में डूब जाता है...ऐसा प्रतीत होता है मानो देश का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रतिभागी की नहीं पूरे देश की हार हुई हो...
कितनी अजीब कहानी है इस फैशन जगत की भी...प्रतिभागी जीत कर लौटती हैं...तो पूरा देश उन्हें सिर आंखों पर बिठा लेता है...और अगर हार कर लौटतीं...तो उनकी खोज ख़बर लेने वाला तक कोई नहीं होता...
जीत कर लौटने वाली प्रतिभागी को थोड़ी सहूलियत जरूर होती है...उन्हें फटाफट विज्ञापनों और फिल्मों के ऑफर मिलने लगते हैं...लेकिन उनके समक्ष चुनौतियां कम नहीं होतीं...सोच विचार कर उन्हें फिल्मों और विज्ञापनों का चयन करना पड़ता हैं...क्योंकि ये उनके करियर के लिए काफी अहम मोड़ होता है...पहली ही फिल्म फ्लॉप हुई तो समझो उन्हें खुद को बॉलीवुड में स्थापित करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी...अब अभिनेत्री सुष्मिता सेन को ही ले लीजिए...उनकी पहली फिल्म कोई खास करामात नहीं दिखा पाई...हालांकि ऐश की फिल्मों ने भी शुरूआत में कुछ खास कमाल नहीं दिखाया लेकिन धीरे-धीरे ऐश ने इंडस्ट्री में खुद को स्थापित किया...और आज भी ऐश के पास सुष से ज्यादा बड़े बजट की फिल्में हैं...जबकि ऐश ने मिस वर्ल्ड का ताज जीता था...और सुष ने मिस यूनिवर्स का...हम सुंदरियों को जितनी जल्दी सिर आंखों पर चढ़ाते हैं उतनी ही जल्दी उन्हें नीचे भी झटक देते हैं...आज युक्ता मुखी को ही ले लीजिए..एक आध फिल्मों के बाद वो गुमनाम हो गई...वहीं लाला दत्ता और दीया मिर्जा आज भी खुद को स्थापित करने की जद्दोजहद में लगीं है...हां प्रियंका चोपड़ा ने ऐश की तर्ज पर फिल्म इंडस्ट्री में जरूर एक अच्छा मुकाम पाया है...बांकी सुंदरियां कब आई और कब चली गई पता ही नहीं चला...केवल दो चार विज्ञापनों में और फैशन शो उन्हे मिल पाते हैं..या फिर किसी जगह फीता काटने के लिए बुला लिया जाता है...
देश को अब एक बार फिर खूबसूरती के ताज का इंतज़ार है...और खुबसूरती की प्रतियोगिता में जानेवाली उस प्रतिभागी को देश उसी उम्मीद से प्रतियोगिता में भेजता है...अब देखना ये हैं कि दोबारा कब ये मौका मिलता है..जब देश की झोली में ये तीनों ताज एक साथ गिरते हैं...

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