कुछ साल पहले प्लेग ने लोगों को डराया...उसके बाद बारी आई एड्स की...और अब स्वाइन फ्लू ने लोगों को दहशत में डाल दिया है...देश में हर रोज़ मरनेवालों की संख्या में इज़ाफा दर्ज किया जा रहा है...बचाव ही उपाय है की तर्ज पर...आम इंसान भी मास्क लगा कर घूमने को मजबूर है...किसी की मौत हुई नहीं की सेंप्ल टेस्ट के लिए भेजे दिया जाता है...जिससे लोग और भी डरे सहमे हैं...प्राकृतिक आपदा...दुर्घटना...इंसान किस किस से खुद को बचाए...और इन सबसे बच गया तो कहते हैं ना 'दुनिया में कितने गम हैं...मेरा गम कितना कम है' उस गम से भी निकल गया तो समझो उसने अपनी पूरी जिंदगी जी ली...
अब तो बस लोगों को इंतजार हैं कब ये स्वाइन की बला टले और लोग पहले कि तरह खुल कर जी सकें...स्वाइन ने हर शहर हर गांव और हर इलाके में आतंक फैलाना शुरू कर दिया है...जरूरत है तो बस सतर्क रहकर सुरक्षा अपनाने की...और डटकर मुक़ाबला करने की...जैसे प्लेग और एड्स का खतरा देश में धीरे धीरे टला है...एक दिन ये संकट भी दूर हो जाएगा...लेकिन हां इसके पीछे जनता में ग़लत संदेश न जाए...और लोग हिफाज़त का रास्ता अपनाए....तो निसंदेह ये बला भी टल जाएगी
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