कहते हैं इंसान अपना पहला प्यार नहीं भूलता...मैं तो कहती हूं इंसान अपनी पहली नौकरी की खट्टी मीठी यादें भी नहीं भूल सकता...एक इंसान अपनी नौकरी को इंज्वॉय करते हुए काम करता है और दूसरा रो रो कर अपनी ड्यूटी निभाता है...बे-शक इन दोनों में से पहला इंसान खुशकिस्मत है...क्योंकि वो अपनी नौकरी को अपना सहीं समय दे पाता है...इंसान को अपनी नौकरी से प्यार करना चाहिए...न कि उसे भार के रूप में लेना चाहिए...मैंने भी अपनी नौकरी से प्यार किया है...और वो भी अपनी पहली नौकरी से...सचमुच मुझे सच्च वाला प्यार हो गया था...मेरी पहली Eटीवी की नौकरी...हैदराबाद से..हुसैन सागर झील...चारमीनार...लुंबिनि पार्क...कोटी...आईटी सैक्टर(हाइटेक सिटी)...बिरला टेंपल...सलारजंग म्यूज़ियम...सांघी टेंपल...वहां के लोगों से...वहां की हर चीज़ से...वहां का ऑफिस...ऑफिस के लोग...मैं कभी नहीं भूल सकती...कोई मेरे समाने हैदराबाद की बुराई नहीं गिना...सकता मुझे आज भी इतना लगाव है हैदराबाद से...आज भले ही हम सब अलग-अलग जगह पर अलग-अलग चैनलों में सैटल हो गए हों...लेकिन एक दूसरे के बारे में हमेशा जानने के इच्छुक होते हैं...आज कई लोग स्टार प्लास में हैं...कोई इंडिया टीवी में...कोई सहारा समय में काम कर रहा हैं...तो कोई NDTVमें कई लोगों ने ZEEन्यूज ज्वॉइन कर लिया...आज देश का कोई ऐसा मीडिया हाइस नहीं जहां ETVके लोग न हों...देश के बड़े-बड़े चैनल भी ETVमें काम कर चुके लोगों पर आंखे बंद कर भरोसा करते हैं...रामोजी फिल्म सिटी में काम करना अपने आप में अनोखा अनुभव है...वहां की तकनीक काफी उन्नत किस्म की है...वहां की लाइब्रेरी जैसे आधुनिक उपकरण तो अब तक किसी मीडिया हाउस में नहीं है...१२ क्षेत्रीय भाषाओं का प्रसारण कोई आम बात नहीं...वहां काम करने वालों को एक साथ देश की १२ संस्कृतियों को जानने का मौका मिलता है...शानदार ऑफिस...शानदार कैंटीन...शानदार लाइब्रेरी...औऱ शानदार नज़ारे...फिल्म सिटी में घुसते ही लगता है आप किसी राजा के सामराज्य में आ गए...अगर आपको मेरी बातों पर यकीन न हो तो एक बार रामोजी फिल्म सिटी घूमकर आईए...आपको खुद ब खुद भरोसा हो जाएगा...और अगर आप वहां तक नहीं जा सकते तो GOOGLE IMAGE में RAMOJI FILM CITY SEARCH कीजिए...आपको वहां के नजारों की खूबसूरत झलकियां देखने को मिल जाएंगी...ETV को मीडिया स्कूल भी कहा जाता है...अपना कोर्स खत्म कर आपने अगर शुरूआत वहां से की...तो देश के किसी मीडिया हाउस में आपको कोई परेशानी नहीं होगी...ETV अपने कर्मचारियों को मीडिया के हर पहलू से अवगत करा देता है...नोएडा फिल्म सिटी SECTOR 16 में जब आप अपने मीडिया हाउस से बाहर निकलेंगे तो आपको सभी चैनलों से कोई न कोई बंदा ETV का मिल ही जाएगा...ETV के लोगों को विभिन्न चैनलों में देखकर बड़ी खुशी होती है...और हैदराबाद की यादें एक बार फिर ताज़ा हो जाती हैं...ETV से करियर की शुरूआत को मीडिया जगत में काफी अच्छा माना जाता है...वहां की खूबसूरत वादियां...लुभावने नज़ारे...पर्यटकों को ही नहीं फिल्म इंडस्ट्री को भी आकर्षित करती आई हैं...तभी तो वहां के क्षेत्रीय फिल्मों के अलावा बॉलीवुड के फिल्मों की शूटिंग भी खूब होती है...वहां फिल्म सरकरा राज कि शूटिंग के दौरान फिल्म सिटी आए अमिताभ,ऐश-अभिषेक और फिल्म के अन्य कलाकारों ने यहां खूब इंज्वॉय किया...अमिताभ ने फिल्म की शूटिंग पूरी होने पर फिल्म सिटी के बारे में कहा...'वाकई यहां जो भी आएगा...अपनी पूरी फिल्म शूट होने के बाद ही जाएगा....इस फिल्म सिटी में रामोजी राव ने सारी सुविधाए मुहैया करा रखी हैं...'हैदराबाद में अपनी जिंदगी के हंसीन लम्हें बिताए हैं मैंने...पहली बार घर से दूर रहने का अनुभव...अपने घर से अकेले हैदराबाद तक आना-जाना...मैंने अपनी जिंदगी को खुलकर जिया है वहां...इंजवॉय किया है अपनी LIFE को...दोस्तों के साथ घूमने जाना...फिल्म देखना...अपनी पसंद की शॉपिंग करना...काफी मज़ेदार अनुभव रहा जिंदगी का...वहां मेरे एक सहभागी से मेरी अच्छी पटती थी...बिहार डेस्क के एंकर...मेरे घर के नज़दीक ही रहते थे ...आज वो जी यूपी में एंकर हैं...हमने काफी समय वहां साथ बिताया...कई फिल्में भी साथ में देखीं...वो मुझे अपने छोटे बच्चे की तरह ट्रीट करते थे...उन्हें चिकन बेहद पसंद था हफ्ते में दो-तीन दिन तो हमारा चीकन खाना निश्चित था...जिस दिन मैं उनके घर चिकन खाने नहीं जाती उस दिन उन्हें खाना खाने मैं मज़ा ही नहीं आता था...वो भी मुज़फ्फरपुर के थे और मेरे पत्रकारिता विभाग में मुझसे दो साल सीनियर भी...आज उनकी शादी हो चुकी है...हम आज भी एक दूसरे के बारे में जानने के इच्छुक रहते हैं...
EVT छोड़ने का अनुभव मेरा बेहद खराब रहा...डेढ़ साल पूरे हो चुके थे EVT में...मेरे कुछ दोस्तों ने दिल्ली में 40 से 60 हजार की सैलरी पर चैनल JOIN किया था...मेरा भी मन अच्छे पैकेज को मचलने लगा...मुझे याद है मैंने उस दिन ETV में EVENING SHIFT की थी...रात को डेढ़ बजे घर पहुंची थी...दूसरे दिन OFF था...सुबह हमें ZEE NEWS में INTERVIEW देने रायपुर जाना था और हमारी फ्लाइट सुबह साढ़े पांच बजे थी...तीन बजे रात को ही हमें एयरपोर्ट के लिए निकलना पड़ा...दिन में हमने INTERVIEW दिया और तीसरे दिन की फ्लाइट से फिर हैदराबाद वापस...किसी को हमारे INTERVIEW की कानों कान खबर न हो इसके लिए ये ज़रूरी था...क्योंकि अगर हमारे INTERVIEW की ख़बर वहां के मैनेजमेंट को चल गई तो हमारी शामत...तीसरे दिन फिर से EVENING SHIFT में अपने काम पर...दो दिन और दो रातें...बिना सोए हमने ऑफिस का काम किया...उफ कितना हैटिक शिड्यूल था वो...एक महीने बाद खबर मिली की मेरा सेलेक्सन हो गया...लगभग 300 लोगों ने EVT से INTERVIEW दिया था जिसमें से केवल 18 लोगों का selection हो पाया था...मेरे लिए ये बेहद नाजुक फैसला था...मुझे हैदराबाद छोड़ना पड़ा...लेकिन आज भी मेरे ज़ेहन में हैदराबाद की यादें ताज़ा हैं...
बुधवार, अगस्त 12
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काफी सुनहरी यादे हैं..मेरी भी पहली जॉब ईटीवी में ही लगी थी लेकिन मैंने ज्वाइन नहीं किया...तुम्हारे संस्मरण पढ़कर वहां के बारे में इमेजिन करना कोई मुश्किल नहीं...
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