गुरुवार, अप्रैल 1

ब्लॉग वाणी


आजकल लोगों को ब्लॉग लिखने का चस्का चढ़ा है...ये नया-नया शौक शुरू में तो बेहद अच्छा लगता है...लेकिन जब आप किसी विषय पर लिखकर उसे पोस्ट करते हैं...तो जाहिर सी बात है...आपके जेहन में आता है कि लोग इसे पढ़ें...लेकिन सिर्फ पढ़ने तक बात सीमित हो फिर तो कोई बात नहीं.....परंतु लिखनेवाले की हार्दिक इच्छा होती है कि पढ़नेवाले इसपर टिप्पणी यानी comment भी करें....भई अब लोगों के पास इतना वक्त नहीं की वो नव-आगंतुकों यानी नवसीखियों के उल्टे-सीधे विषयों पर वक्त जाया करें...हां इसके लिए बेहद जरूरी है कि आपके ब्लॉग के कुछ लोग फॉलोवर्स हों...ताकि वो इन्हें पढ़ें या ना भी पढ़े तो एक-दो टिप्पणी तो बिना पढ़े जड़ ही दें...सच कहूं तो टिप्पणी देखकर मन खुश हो जाता हैं....लगता है चलों जो लिखा सार्थक हो गया...अब नए-नए लिखनेवाले इतने प्रसिद्ध तो हैं नहीं कि इनपर टिप्पणियों की बैछार हो जाए...जैसा अभिनेता अमिताभ बच्चन के लिखे एक पोस्ट पर हजारों लोग अक्सर कर देते हैं...








ब्लॉग लिखने के लिए जरूरी नहीं की आप कोई महान हस्ती हों....हो सकता है आपका लिखा एक पोस्ट लोगों को भा जाए और कई लोग आपके लिखे पर टिप्पणी कर दे...और ये भी हो सकता है कि आप ब्लॉग पर पोस्ट पर पोस्ट करते जाएं और आपको एक भी टिप्पणी ना मिले...लेकिन हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं...आप अपना काम जारी रखिए...कभी ना कभी तो लोगों की उसकी महत्ता का एहसास होगा...


ब्लॉग...वैसे देखा जाए तो कोई भी लिख सकता है...ये तो आपके भावनाओं की अभिव्यक्ति मात्र है....इसके लिए जरूरी नहीं कि आप साहित्यिक हो या कोई महारथी हो...बस आपके लिखे विषय में लोगों को पढ़ने में दिलचस्पी हो...हां ये अलग बात है कि पत्रकार और साहित्यकार कुछ लिखना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं...बात भी सही है क्योंकि उनकी कलम ही उनकी रोज़ी-रोटी का ज़रिया है...जितना अच्छा आप लिख सकते हैं उतनी ज्यादा आप प्रसिद्धि के करीब होते हैं...अक्सर मैंने देखा है कुछ लोग ब्लॉग लिखते हैं और अपने दोस्तों को लिंक भेजते हैं...कि भाई इसे पढ़ो....मगर इसके पीछे उनकी मंशा होती है कि भाई एक दो टिप्पणी भी लिख दो...कितनी अजीब बात है हम लोगों से टिप्पणी की आस लगाते हैं...ताकि हमारा लिखा पोस्ट और आकर्षक लगे...पढ़नेवाले खुद ही इस बात को क्यों नहीं समझते?


ब्लॉग लिखने वाले कुछ पुराने महारथी तो कई सालों में पाठकों की लंबी फेहरिस्त से जुड़ पाए होंगे...उन्हें भी पढ़ने वाले इतनी आसानी से थोड़े ही मिले होंगे...उन्हें भी काफी मशक्कत के बाद पाठकों ने सराहा होगा....हां नवसीखियों के लिखे पोस्ट पर एक दो टिप्पणी भी आ जाए तो लिखने का उत्साह चौगुना हो जाता है...अगर किसी पोस्ट पर टिप्पणी ना मिले तो लगता है शायद पाठकों ने इसे नकार दिया है...बड़ा अफसोस होता है....कुछ लोग तो आपके ब्लॉक को पढ़ भी लें या एक सरसरी निगाह देख भी ले... तो भी टिप्पणी करना उचित नहीं समझते....ऐसे लोगों से सादर निवेदन है कि कृप्या नए लोगों की लिखी चीजों की सराहना न सहीं कम से कम उसकी लिखी बातों पर सुधार के दो शब्द ही लिख दें...शायद आपके लिखे दो शब्द उसे और अच्छा लिखने को प्रोत्साहित करे....



हमारा एक साथी है....बेचारे ने ऑफिस में लोगों को ब्लॉग लिखते देखा तो उसका भी मन डोल गया...उसने सोचा मैं क्यों पीछे रहूं....उसने भी ब्लॉग लिखना शुरू किया... कई दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद उसने एक ब्लॉग पोस्ट किया....ऑफिस में सबको बुला बुला कर पढ़ाया औऱ सबसे निवेदन की कि ब्लॉग को पढ़ने के बाद टिप्पणी जरूर लिखे...यहां तक कि ऑफिस में जितने इंटर्न आए थे सबको रोक-रोक कर अपने ब्लॉग की जानकारी दी...लिंक भेजा....ऑफिस के सभी कर्मचारियों को अपना ब्लॉग पकड़ पकड़ कर दिखाता...मुझे भी उसने अपना ब्लॉग दिखाया....देखकर अच्छा लगा...उसने ब्लॉग का स्ट्रक्चर काफी अच्छा दिया था...मैंने उसकी सराहना की...हालांकि उसका लिखा नहीं पढ़ पाई थी..बस ऊपर का विषय देखकर मैंने बंद कर दिया...मेरे पास वक्त की कमी तो थी ही साथ ही उसने बाल ठाकरे पर लेख पोस्ट किया था...जिसे पढ़ना मुझे नागवार गुजरा....उस वक्त सभी इसी टॉपिक को घसीट रहे थे....मैं कुछ नया पढ़ना चाहती थी....हालांकि कुछ दिनों बाद पता चला कि हमारे इस साथी ने ब्लॉग में पोस्ट की चोरी की है...ये किसी और ने लिखा था और उसने पूरा का पूरा कॉपी+पेस्ट कर लिया था....इसका खुलासा तब हुआ जब उसी टॉपिक को गूगल पर सर्च किया गया...बेचारे की घिग्गी बंध गई...हर किसी ने उसकी जमकर आलोचना की....सबने उसे सलाह दी ’’कम से कम ब्लॉग पर तो आप अपने मन की अभिव्यक्ति उतारो किसी का चुराया हुआ कब तक काम आएगा...!’’





वैसे कई बार तो ऐसा भी होता है कि आप कुछ लिखते हैं और ऐसे लोगों की अपके पोस्ट पर टिप्पणी आती है जिन्हें आप दूर-दूर तक नहीं जानते..मैंने ब्लॉग पर कुछ दिनों पहले लिखा और दूसरे दिन जब मैंने देखा तो कई टिप्पणियां देखने को मिलीं...मुझे बेहद खुशी हुई...एक टिप्पणी कनाडा से एक ऐसे महाशय ने भेजी जिनके लिखे एक पोस्ट पर सौ से भी ज्यादा लोग टिप्पणी करते हैं...हजारो लोग तो उनके ब्लॉग के फॉलोवर्स है...मुझे बड़ा आश्चर्या हुआ...और सच कहूं तो बहुत अच्छा लगा...उनके लिखे सुझाव ने मुझे अपने लेख को और बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने को प्रेरित किया....

मैं ब्लॉगर बंधुओं से इतना ही कहूंगी कि आप अपना लिखना जारी रखें और ब्लॉग पढ़नेवालों से निवेदन करूंगी कि अगर आप किसी का ब्लॉग पढ़ें तो टिप्पणी लिखने में कंजूसी ना बरते...लिखने वालों को इस से काफी उत्साह मिलता है...और आगे लिखने की प्रेरणा मिलती है....आपकी लिखी एक टिप्पणी उसके लिए बेहद कीमती है....जिसका शायद आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते...

13 टिप्‍पणियां:

  1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन .. हो सकता है आपका लिखा एक पोस्ट लोगों को भा जाए और कई लोग आपके लिखे पर टिप्पणी कर दे...और ये भी हो सकता है कि आप ब्लॉग पर पोस्ट पर पोस्ट करते जाएं और आपको एक भी टिप्पणी ना मिले .. ऐसा ही होता है !!

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  2. बेनामीअप्रैल 01, 2010

    सही बात देखिये ना ,मेरे ब्लोग पर कोई नही लिखता

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  3. अरे आप कोई कम बड़ी हस्ती थोड़ी न हैं। लिखती रहिये आपके भी बहुत सारे फ़ालोवर बन जायेंगे।

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  4. अरे वो कनाडा वाले तो ऐसे ही हैं. :) आप तो बस अच्छा लिखती चलें. टिप्पणी करने लोग खुद ब खुद आ जायेंगे.

    हाँ, चूँकि आपने टिप्पणी और प्रोत्साहन की महत्ता को समझा है, तो इसमें योगदान करते रहें. आपकी तरह ही अनेक नवागंतुक एवं पुराने भी प्रोत्साहन की दरकार लिए पलक पांवड़े बिछाये राह तक रहे हैं.

    यही एक मात्र राह है हिन्दी ब्लॉगिंग के प्रचार एवं प्रसार की.

    शुभकामनाएँ.

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  5. आप तो लिखते रहे ! टिप्पणियाँ अपने आप आती रहेंगी | पाठक भी देखना कुछ महीनों बाद आपके ब्लॉग पर गूगल बाबा अपने आप भेजते रहेंगे :)

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  6. aap to bas likhte rahiye
    khud log aapke blog pe aayenge comment dene .
    vishwaas rakhiyega

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  7. SATIK AALEKH ..SHABDON KA BAKHUBI SAYOJAN..BLOG BLOGER,BLOGVANI..SIDHI SARAL ZUBAN ME ...MANAHSITHITI KO SAMJHATE HUE EK BLOG PAR POST KAANE SE TIPPANI PAANE TAK KE SAFAR ME LIKHNE WALE KI MANSIKTA KA BAKHUBI CHITRAN...AAP BAHUT ACHCHHA LIKHTI HAYN..AAPKE FOLLOWER ME MAI BHI SHAMIL HO GAYA .

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  8. बेहतरीन

    http://kavyawani.blogspot.com/

    shekhar kumawat

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  9. इस शहर में नयी-नयी आयी हुई हैं, तो थोड़ा धीरज धरें। बस थोड़ा छोटा लिखे, जिससे पाठक पढ़ता-पढ़ता बीच में ही भाग ना जाए। समय के पहले तो चापलूस ही सफल होते हैं। बस लिखती रहें।

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  10. प्रिय मधु जी ,
    सबसे पहली बात तो आपके ब्लोग का नाम ही इतना अनोखा रखा है आपने ..आज की तारीख का सबसे लोकप्रिय हिंदी संकलक , और आपकी पोस्ट ने बता और जता भी दिया है कि आप भविष्य में प्रभावित करने वाला लेखन करेंगी । किसी बात की चिंता फ़िक्र छोड ..सिर्फ़ अच्छा और बहुत अच्छा ..सबसे अच्छा लिखें ..बांकी सब अपने आप तय हो जाता है ...यकीन मानिए ऐसा ही होता है ,,,

    अजय कुमार झा

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  11. बढ़िया प्रस्तुति बधाई

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