बुधवार, जुलाई 29

मेरा अनुभव


उन दिनों में पत्रकारिता पीजी प्रथम वर्ष में थी...मैं हिन्दुस्तान अख़बार में भी लिखती थी...जब मेरी बयलाइन खबरें छपती थी...तो मुझे बड़ा मज़ा आता था...मेरे पिताजी को सुबह उठते ही अख़बार का इंतज़ार रहता था...औऱ वो मेरे नाम से निकली ख़बर का बेसब्री से इंतज़ार करते थे...जब मैं सो रही होती थी तब वो मेरे पास बैठकर मेरी ख़बर पढ़ कर सुनाते थे...मुझे तो मेरी लिखी एक एक लाइन याद रहती थी..पापा पढ़ते और मैं इससे पहले ही उन्हें आगे की बातें बताती जाती...दरअसल पापा मुझे जल्दी जगाने के लिए ऐसा करते थे...

एक बार हर रोज की तरह दोपहर के वक्त आयोजित संपादकीय बैंठक में मैं पहुंची तो...मेरे पास कोई ख़बर नहीं थी...तब मुझे वहां के ब्यूरो चीफ ने लेप्रोसी मिशन अस्पताल से ख़बर निकाले के लिए कहा...हालांकि अस्पताल वहां से काफी दूर था...और उस समय गर्मी भी काफी तेज़ थी...वैसे भी मुझे धूप से एलर्जी थी...उस समय दोपहर के डेढ़ बज रहे थे...चिलचिलाती धूप देखकर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी अस्पताल जाने की...लेकिन मुझे जाना था...मैं निकल पड़ी अपनी ख़बर की खोज़ में...मेरे लिए अनजानी जगह...मैं वहां कभी नहीं गई थी...मुझे रास्ता भी नहीं मालूम था...पूछते-पूछते आख़िर में लेप्रोसी मिशन अस्पताल पहुंच ही गई...अब मैंने वार्ड के बारे में पता किया मैंने वहां के अधिकारी से बात की...उन्होंने मुझे मरीजों से मिलने की इज़ाजत दे दी...मैं वार्ड की ओर बढ़ने लगीं...पहले मैंने जेन्ट्स वार्ड में प्रवेश किया...वहां मुझे सबकुछ सामान्य लगा...फिर मेंने लेडीज़ वार्ड में प्रवेश किया...एक -एक मरीज़ से मैंने उसका हल-चाल पूछा...मुझे बड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था वहां...धीरे धीरे मैं आगे बढ़ने लगी...एका एक मेरी नज़र एक १४-१५ साल की लड़की की और गया...अस्पताल में हालांकि ज्यादातर मरीज़ अधिक उम्र के थे.इस बच्ची को देखकर में उसके करीब थोड़ी देर रूकी...दरअसल वो लड़की किताबों में खोई हुई थी...मैने उससे उसका नाम पूछा...शर्माते हुए उसने अपना नाम बताया...मैंने पूछा तुम यहां पढा़ई कैसे कर पाती हो...तो उसने मुझे बताया कि मेरी परीक्षा नज़दीक है मैं इस साल ८ वीं वोर्ड की परीक्षा दे रही हूं...मुझे बड़ा होकर अफसर बनना है...फिर मुझसे पूछने लगी दीदी आप यहां क्यू आए हो...मैंने बड़े आत्मीयता से उसे जवाब दिया कि मै सबसे मिलने आई हूं...

मैं उसके पास रखी एक कुर्सी पर बैठ गई...मैने उसके घर बालों के बारे में पूछा आचानक वो रोने लगी...मुझे बड़ी हैरानी हो रही थी...मैंने पहले तो उसे चुप कराया...उसके बाद मैंने उससे भरोसा दिलाया की मैं उसे उसकी मुसीबतों से निकालने में मदद करूंगी...पहले तो वो तैयार नहीं हुई कुछ भी बताने के लिए...बहुत समझाने के बाद बताया की पास ही के एक गांव उसका परिवार रहता है लेकिन पिछले ७-८ सालों से वो अपने परिवार के सदस्यों से नहीं मिली है...जब मैनें पूछा ..उसने बताया उसके घर वालों ने उसे एक लेप्रोसी स्कूल ले जाकर छोड़ दिया जिसके बाद पलट कर उसे देखने कोई नहीं आया...हालांकि उसकी मां कभी कभी उससे मिलने आ जाया करती थीं...वो भी उसके पिता से छुप कर...उसकी छोटी दो बहनों की शादी भी हो गई...न तो उनकी खुशियों में वो शरीक हो पाई और नहीं उसके पिता के दिल में इस मासूम के लिए कोई जगह थी...पिता उसे घर लाना नहीं चाहते... इसकी इस दर्दनाक कहानी ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया था...मैंने इस लड़की से सारी जानकारी ली और वापस अपने घर चली गई...मैंने अपने ऑफिस के फोटोग्राफर को फोन किया कि इस लड़की की एक फोटो वो खींच लाए...शाम को मैंने इस स्टोरी को बड़े अच्छे से लिखकर कहानी में खूब मार्मिकता भरी और ब्यूरो चीफ को दिखाया...उस वक्त संपादक शुकांत सर भी वहां मौजूद थे...ब्यूरो चीफ ने उस स्टोरी को संपादक के सामने रखा...संपादक ने मेरी इस स्टोरी की काफी तारीफ की और कहा फोटोग्राफर को भेजो वो इसकी एक फोटो खींच लाएगा...कल की बाइलाइन ख़बर यही बनेगी...मैं काफी खुश हुई...मुझे लगा मेरी मेहनत सफल हुई...फोटोग्राफर जब उस लड़की की फोटो लेने पहुंचा...तो लड़की ने रोना चिल्लाना शुरू किया...सभी हैरान...इसे क्या हो गया...उस लड़की ने पूरा अस्पताल अपने सिर पर उठा लिया...क्या डॉक्टर... क्या नर्स...अधिकारी...और मरीज सभी इकट्ठे हो गए...लड़की ने बताया कि ये मेरा फोटो खीचेंगे और मेरे घरवालों को पता चलेगा तो मेरे पिता की बदनामी होगी...फोटोग्राफर ने समझाया कि तुम्हारा नाम बदल दिया जाएगा...चेहरे पर मॉजेक कर दिया जाएगा...डॉक्टर ने समझाया ...लेकिन लड़की नहीं मानी...आखिर उसने फोटो नहीं ही लेने दिया...फोटोग्राफर ने मुझे फोन लगाया और बताया कि वो फोटो लेने नहीं दे रही है...मेरी ख़बर की तो वॉट लग रही थी...मेरी पूरी मेहनत बेकार चली जाती...मैंने फोन पर उसे समझाने का प्रयास किया...संपादक महोदय ने उसे समझाया लेकिन अंत तक वो तैयार नहीं हुए...और मेरे दिनभर की मेहनत पर उसने एक पल में पानी फेर दिया...

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