बुधवार, सितंबर 16

इकोनॉमी बनाम कैटल क्लास




विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने इकोनॉमी क्लास को कैटल क्लास का दर्जा दिया हैं...मंत्री जी ने ये कहकर इकोनॉमी क्लास में सफर करनेवालों को जानवरों की श्रेणी में ला खड़ा किया है...

शशि जी जब आप इकोनॉमी क्लास को कैटल क्लास का दर्जा दे रहे हैं...
तो फिर भारी-भीड़ वाली ट्रेनों औऱ बसों को किस कैटेगरी में रखेंगे...?
जिसमें देश की करोड़ों जनता सफर करने को मजबूर है...


पिछले दिनों प्रणव मुखर्जी ने सांसदों, मंत्रियों व सरकारी अधिकारियों को खर्च में कटौती की सलाह दी थी उनकी सलाह के बाद विदेश मंत्री एसएम कृष्णा व उनके जूनियर शशि थरूर ने पांच सितारा होटल छोड़ दिया था...कांग्रेस सुप्रीमो श्रीमती सोनिया गांधी और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने विमान कें इकोनॉमी क्लास में यात्रा करने के बाद देश भर के मंत्री, सांसद, विधायक और नौकरशाहों को फिजूलखर्ची रोकने का संदेश दिया...अपनी मां सोनिया गांधी के मितव्ययिता के नक्शेकदम पर बढ़ते हुए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने लुधियाना जाने के लिए शताब्दी एक्सप्रेस में सफर किया...राहुल ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शताब्दी एक्सप्रेस के चेयर कार में सवार होकर लुधियाना तक की दूरी तय की...हालांकि उनकी यात्रा विवादों में घिर गई...राहुल गांधी की पहली ही ट्रेन यात्रा में पत्थरबाजी की घटना के बाद उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई...फिजूलखर्ची रोकने के नाम पर सोनिया व राहुल की सुरक्षा दांव पर लगाने को लेकर सवाल उठने लगे... कांग्रेस ने कहा कि बेशक मितव्ययिता उसकी प्रतिबद्धता है, मगर सोनिया व राहुल की सुरक्षा से पार्टी कोई समझौता नहीं करेगी...वहीं राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने चुटकी लेते हुए कहा है कि अच्छा होता कि देश के बड़े नेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के रास्ते पर चलकर ट्रेन के सबसे निचले दर्जे में यात्रा करते...उन्होंने दावा किया है कि वे अगले चुनाव में हेलीकाप्टर से प्रचार नहीं करेंगे...तो देखना ये है कि इकोनॉमी क्लास का ये नया चैप्टर क्या-क्या गुल खिलाती है...और कौन-कौन से नेता इसकी नीति को...कब तक अपनाते हैं...

4 टिप्‍पणियां:

  1. इकोनांमी क्लास के यात्री भेड बकरियां तो ट्रेन मे सफर करने वाले किडे मकौडे और मुम्बई के लोकल मे सफर करने वाले तो बैक्टेरिया ही कहलायेगें

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  2. मधु जी आप बहुत अच्छा लिखती हैं. एक बालिका के साथ कुष्ठ से सम्बंधित किसी रोग पर आपकी गंभीर पोस्ट देखी थी और कमेन्ट लिखा था जो कि नोट पेड पर ही चिपका रह गया था, उस पोस्ट की स्मृति अभी शेष है.

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  3. अच्छा लिखा है...शशि थरूर ने जितनी लोक प्रियता उस वक़्त हासिल की थी जब वे यूएनओ के महासचिव के लिए दौड़ में थे उतनी ही किरकरि इस बात से हुई है...दुनिया जहां में घूमना अच्छी बात है मगर ज़मीन पर पैर रखना बेहद ज़रूरी है आपने इस बात को ख़ूब लिखा है...इस बार इतना ही सच फिर कभी कहेंगे....ऑल द बेस्ट

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  4. यदि ऐसा है तो शशि थऱुर ट्रेन के जनरल डिब्बे में यात्रा करने वालों के लिए क्या कहेंगे...लोग थरुर को यूएन चुनाव के समय लोगों में काफी लोकप्रिय हो गए थे ...लेकिन अब जनता की नजरों से गिर चुके हैं.....आपने अपने लेख में बिल्कुल सही चित्रण किया है...लेखनी को यूं ही धार देतीं रहें.......

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