मंगलवार, सितंबर 8

बोर्ड परीक्षा से मुक्ति...!


केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के स्कूलों में 10वीं बोर्ड परीक्षा 2011 से खत्म कर दी जाएगी...और ग्रेडिंग सिस्टम 2010 में लागू हो जाएगा...केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने इसकी औपचारिक घोषणा भी कर दी है... हालांकि, जो छात्र खुद ही बोर्ड की परीक्षा देना चाहेंगे उन्हें ऑनलाइन या कागज कलम के जरिए इसका अवसर मुहैया कराया जाएगा। बोर्ड के इस फैसले से जहां कुछ छात्रों में खुशी है तो ज्यादातर छात्रों में नाराजगी भी देखी जा रही है...हालांकि इस फैसले से 10 वीं बोर्ड का EXAM FEVER बच्चों में ख़त्म हो जाएगा...पढ़ने वाले बच्चे तो बैसे भी पढ़ाई कर ही लेंगे...लेकिन जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर होंगे उन्हें अपने आप को सुधारने का मौका भी नहीं मिलेगा...और उन्हें अचानक प्रतियोगी परीक्षाओं का सामना करना पड़ेगा...बच्चों में परीक्षाओं को लेकर तनाव को दूर करने के मकसद से सीबीएसई के स्कूलों में बोर्ड परीक्षा खत्म करने का ये फैसला लिया गया है...12वीं तक चलने वाले स्कूलों में 10वीं के छात्रों को बोर्ड परीक्षा नहीं देनी होगी...इसी तरह 10वीं तक चलने वाले स्कूलों के छात्र भी अपनी मांग पर बोर्ड की परीक्षा दे सकेंगे...जो छात्र प्रतियोगिताओं में बैठने के लिए या किसी अन्य मकसद से अंक हासिल करना चाहेंगे उन्हें यह मुहैया कराया जाएगा...लेकिन जो छात्र अन्य स्कूलों में स्थान्तरण के लिए परीक्षा देना चाहेंगे उनके लिए सीबीएसई की ऑन डिमान्ड परीक्षा आयोजित की जायेगी...प्राप्तांकों को नौ प्वाइंट स्केल के आघार पर ग्रेड दिए जाएंगे...ये 9 ग्रेड A1 से लेकर E1 तक होंगे. शिक्षा मंत्रालय ने यह कदम छात्रों के ऊपर से बोझ कम करने और पढाई को सरल बनाने के लिए उठाया है...ग्रेडिंग सिस्टम आने से पढ़ाई के सिस्टम में कोई बदलाव आएगा इसके बारे में अधिकांश स्टूडेंट्स असहमत ही नजर आते हैं...और अभिभावकों में भी नाराजगी देखी जा रही है...छात्रों का मानना है कि उन्हें अंक देखकर ही खुशी मिलती है...और परफॉर्मेस देखने के लिए ग्रेडिंग नहीं मार्क्‍स की जरूरत है...माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद बोर्ड का हौवा खत्म हो जाएगा...लेकिन छात्रों को बोर्ड एग्जाम से प्रतियोगी परीक्षाओं की समझ मिलती है और अनुभव भी मिलता है...ज्यादातर बच्चे 9 वीं कक्षा तक तो सामान्य तौर पर पढ़ाई करते हैं और 10 वीं में काफी serious होकर पढ़ते हैं...माता पिता भी 9 वीं कक्षा तक बच्चों पर दबाव नहीं डालते...10 वीं की परीक्षा के लिए बच्चे काफी मेहनत करते हैं...इस फैसले के लागू हो जाने से बच्चों में प्रतिशत के मायने बदल जाएंगे...ग्रेडिंग से बच्चों को कितने अंक हासिल हुए इसका तो पता ही नहीं चलेगा...बच्चों में बोर्ड के प्रति उत्साह में कमी आएगी...देश में कई बार बोर्ड परीक्षा में खराब अंक मिलने से कई बच्चों के आत्महत्या तक की घटना सामने आई है...बोर्ड के इस फैसले के बाद आत्महत्या जैसी घटना में तो कमी आएगी लेकिन बच्चों को अचानक प्रतियोगी परीक्षाओं का सामना करना पड़ जाएगा...जिससे उनके सामने कई काफी कठिनाइया सामने आएंगी...कुल मिलाकर देखा जाए तो ग्रेडिंग सिस्टम से भले ही औसत बच्चों को फायदा मिले लेकिन जो परीक्षार्थी पढ़ने में काफी अच्चे हैं वे बेचारे मात खा जाएंगे...उन्हें उनके सही मुल्यांकन का पता ही नहीं चलेगा...

1 टिप्पणी:

  1. परीक्षा के डर से बच्चे पढ़ाई करते हैं...परीक्षा की पद्धति खत्म कर दी जाएगी तो बच्चों का पढ़ाई से रुझान कम हो जाएगा...

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