रविवार, सितंबर 6

हादसों का सफ़र...


आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में हुई मौत को भले ही किसी राजनीतिक स्टंट से जोड़कर न देखा जा रहा हो लेकिन उनकी मौत ने अपने पीछे कई सवाल छोड़ दिए हैं...हैदराबाद के पुराने हवाई अड्डे बेगमपेट से उनका हेलिकॉप्टर बेल 403 रवाना हुआ...नया एयरपोर्ट बन जाने के बाद करीब डेढ़ साल पहले ही बेगमपेट हवाई अड्डा बंद हो चुका था...ये हेलिकॉप्टर 2 सितंबर को सुबह 8:38 बजे सीएम सहित पांच लोगों को लेकर चित्तूर के लिए रवाना हुआ...और सुबह 9:35 बजे हेलिकॉप्टर से संपर्क टूट गया...लेकिन इसकी जानकारी दोपहर 1 बजे के बाद मीडिया की सुर्खियां बनीं...और पूरे देश में हड़कमप मच गया...राज्य में ही नहीं केन्द्र में भी लोगों को राजशेखर की चिंता सताने लगी...अब सवाल ये उठता है कि 9:35 से ही जब रेड्डी से संपर्क टूट गया तो क्या हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने तक इंतज़ार किया गया...और हेलिकॉप्टर को जलने के लिए छोड़ दिया गया...जिस दिन राजशेखर ने उड़ान भरी उस दिन मौसम बेहद खराब था फिर किसके कहने पर हेलिकॉप्टर को उडा़न भरने की इजाज़त दी गई...उड़ान भरने से पहले पायलट को आसपास के 4 राज्यों के मौसम की औऱ साथ ही जिस रूट से उसे जाना है उसकी जानकारी दी जाती है...तो क्या पायलट को इसकी जानकारी नहीं दी गई...आखिर किसके दबाव में ये यात्रा की गई...क्या राजनेता ने खुद यात्रा का दबाव बनाया? जिस हेलिकॉप्टर में राजशेखर सवार थे वो काफी पुराना हेलिकॉप्टर था और उसके तकनीकि यंत्रों की सही तरीके से चैकिंग नहीं की गई थी...दो साल से हेलिकॉप्टर की मरम्मत भी नहीं हुई थी...10:45 बजे तक राजशेखर को चित्तूर पहुंच जाना था...लेकिन 10:45 से 1 बजे तक जनता, वहां के आयोजक औऱ नेता चुपचाप इंतज़ार करते रहे? इतना लंबा इंतज़ार भाई मानना पड़ेगा उनके सब्र के...इस बीच हेलिकॉप्टर पर सवार लोग दुर्घटना की आशंका के मद्देनज़र कागजों पर निशान बनाकर नीचे फेंकते रहे ताकि खोजी दल आसानी से उनका पता लगा सकें...इसका मतलब दुर्घटना अचानक नहीं हुई...दुर्घटना से पहले उन्हें पता चल गया था कि उनकी जान को ख़तरा है...एसे में अगर उस हेलिकॉप्टर में पैराशूट की सुविधा होती तो शायद उन सबकी जान बच जाती थी...दोपहर 1 बजे के बाद सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ...एक तो नक्सल प्रभावित इलाका और ऊपर से बरसात के बाद जंगल में फैली हरियाली से भी उनकी तलाश काफी मुश्किल थी...केन्द्रीय गृह औऱ रक्षा मंत्रालय ने खोज की कमान संभाली...सुखोई सेना के हेलिकॉप्टर और मानव रहित विमान उनकी तलाश में जुट गए इसके लिए इसरो से मदद ली गई..इसरो ने 41 तस्वीरें भेजीं लेकिन खराब मौसम की वजह से तस्वीरें साफ नहीं आ पाई...अमेरिका से भी उसके उपग्रहों की मदद मांगी गई...शाम 4:30 बजे से 200 वर्ग किलोमीटर के नल-मल्लई के खौफनाक जंगल में सेना के विशेष कमांडो दस्ते समेत सीआरपीएफ के 500 जवानों ने भी सर्च अभियान शुरू किया...रातभर सर्च अभियान चलता रहा...मोबाइल टावरों के तरंगों की मदद से लोकेशन पता करने की कोशिशें की गई...नक्सल प्रभावित घने जंगलों में आदिवासियों के 14 दल भी खोज अभियान में जुट गए...सुबह 8:39 के बाद खबरें आई कि रेड्डी के हेलिकॉप्टर का पता चल गया...फिर क्या था सेना सहित मीडियाकर्मी भी कवरेज के लिए दुर्घटना स्थल पहुंच गए...रेड्डी के मौत की पुष्टि हुई और पूरा देश सदमें में आ गया...दूसरे दिन उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया...और अपने प्यारे राजनेता की मौत से दुखी 60 लोगों ने आत्महत्या कर ली...वहीं आठ लोग सदमें से चल बसे...राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद पार्टी में जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हो गई...राजशेखर के पुत्र जगन को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देखा जाने लगा...लेकिन इसी बीच आनन-फानन में रोसैया को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई...अब आलाकमान ने सख्त निर्देश दिए हैं कि रोसैया ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे...
राजनेताओं की हवाई दुर्घटना में मौत का ये पहला मामला नहीं...इससे पहले भी भारतीय राजनीति के इतिहास पर नज़र डालें तो दुर्घटना का शिकार होनेवाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त है...इस लिस्ट में सबसे महत्वपूर्ण नाम है पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के पुत्र और कांग्रेस के प्रतिभाशाली नेता संजय गांधी का...जिनकी दिल्ली के सफदरजंग हवाई अड्डे पर ग्लाइडर दुर्घटना में मौत हो गई थी...इसी कड़ी में कांग्रेस के प्रतिभाशाली नेता राजेश पायलट की 11 जून 2000 को जयपुर के पास सड़क हादसे में मौत हो गई थी...एक और महत्वपूर्ण नाम है माधवराव सिंधिया का 30 सितंबर 2001 को विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई...उसके बाद उद्योगपति और राजनेता ओ.पी.जिंदल भी 31 मार्च 2001 को विमान दुर्घटना का शिकार हो गए...बीजेपी के प्रतिभाशाली नेता साहिब सिंह वर्मा की 30 जून 2007 को अलवर-दिल्ली राजमार्ग पर सड़क हादसे में मौत हो गई...कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल,केन्द्रीय मंत्री पृथ्वीराज चव्हान और शैलजा उस समय बाल-बाल बच गए जब 2004 में गुजरात ले जा रहे हेलिकॉप्टर का पिछला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था...14 जुलाई 2007 को भोपाल से रायपुर के लिए उड़ा मैना हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उसमें सवार लोगों की मौत हो गई, हालांकि उसमें कोई राजनेता सवार नहीं थे...इस तरह हादसे-दर-हादसों के बाद भी अगर हम सतर्क नहीं होंगे...तो इनकी फेहरिस्त और लंबी हो सकती है...जरूरत है इन हादसों से सबक लेने की ताकि भविष्य में ऐसे हादसे दोहराए न जाए...
चुनाव आते ही राजनेताओं के साथ-साथ अभिनेता और अभिनेत्रियां भी हेलिकॉप्टर दौरा खूब करते है...इस दुर्घटना के बाद तो हेलिकॉप्टर दौरा करनेवालों के ज़ेहन में कहीं-न-कहीं डर समा ही गया है...ऐसे में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम की जांच पड़ताल के बाद ही वे उड़ान भरें तो वेहतर पहल होगी...

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