यहां बिछा है हर तरफ ...
खबरों का ही ‘मायाजाल’...।।
इसके दर पे…
संपादक रहते हैं हमेशा ‘बेहाल’
उन्हें रहता है अक्सर खबरों का ही ‘मलाल’
सुबह-शाम, उठते-बैठते हर वक्त
उन्हें आते हैं खबरों के सपने।।
उन्हें रहता है अक्सर खबरों का ही ‘मलाल’
सुबह-शाम, उठते-बैठते हर वक्त
उन्हें आते हैं खबरों के सपने।।
जितनी भी खबरें दो उनके आगे ‘परस’
एक बार में जाते हैं वो ‘गटक’
थोड़ी देर में खबरें हो जाती है...’हजम ‘
और फिर करते हैं...खबरों का ‘महाजाप’।।
इनपुट डेस्क है ‘खबरों का सूत्रधार’
पत्रकार करते हैं ‘खबरों की पड़ताल’
ऑउटपुट डेस्क करते हैं ‘खबरों का पोस्टमार्टम’
ऐंकर को रहता है पोस्टमर्टम ‘रिपोर्ट का इंतजार’।।
ऑउटपुट डेस्क करते हैं ‘खबरों का पोस्टमार्टम’
ऐंकर को रहता है पोस्टमर्टम ‘रिपोर्ट का इंतजार’।।
पीसीआर में लगती है ‘रिपोर्ट पर मुहर’
और खबरें हो जाती है कुछ पल में ‘ऑन एयर’
हफ्ते भर में आ जाती है ‘टीआरपी रिपोर्ट’
जिसके बाद...एक बार फिर लगती है
पूरी टीम की अच्छी-भली ‘क्लास’।।
पर दोस्तों...
वाह मधुजी शानदार कविता है....आपने कविता के माध्यम से मनोरंजक तरीके से मीडिया के बारे में बताया है....बधाई..
जवाब देंहटाएंअभिषेक
आपके ब्लॉग को आज चर्चामंच पर संकलित किया है.. एक बार देखिएगा जरूर..
जवाब देंहटाएंkavita badhiya kataaksh hai..
बहुत बढ़िया कटाक्ष
जवाब देंहटाएंसही है.., अभी पिपली लाइव में तो वैसे भी देख के ही आये हैं ख़बरों का पोस्ट मार्टम ...अच्छी कविता है :)
जवाब देंहटाएंmnedia ki pol khol achchhi lagi
जवाब देंहटाएंखबरों की अच्छी खबर.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबढिया कविता है
बेहतरीन लेखन के लिए बधाई और शुभकामनाएं
संडे का फ़ंडा-गोल गोल अंडा
ब्लॉग4वार्ता पर पधारें-स्वागत है।
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 14 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमधु जी ,
जवाब देंहटाएंआपकी इमानदारी देख कर अच्छा लगा , ...आज यानि मंगलवार को कविताओं के लिए विशेष चर्चा का दिन है ...इसमें हम चुनी हुई अच्छी कविताओं को शामिल करना पसंद करते हैं साथ हो यह भी कोशिश रहती है कि कुछ ऐसे रचनाकारों भी ला सकें जिनको बहुत कम लोंग पढते हैं ...यह चर्चाकार की मर्ज़ी पर निर्भर है कि वह किन ब्लोग्स का चयन करता है ..हर दिन के लिए चर्चाकार अलग अलग हैं ..तो कुछ रचनाएँ फिर से चर्चा मंच पर आ जाती हैं ....आपकी रचना ने कम से कम चर्चा मंच के दो चर्चाकार को आकर्षित कर लिया ...आप इसकी चिन्ता न करें कि चर्चा मंच पर एक बार रचना आने के बाद दुबारा नहीं आ सकती .. :):) यह पूर्णरूप से चर्चाकार की अपनी पसंद है ..आप चर्चा मंच पर अवश्य आईएगा ...हर चर्चाकार का अलग अंदाज़ होता है चर्चा करने का ...
मेरा जीमेल आई डी ...
sangeetaswarup@gmail.com
कभी ज़रूरत हो तो आप यहाँ लिख सकती हैं ..आभार
धन्यवाद मैडम
जवाब देंहटाएंकित्ती मजेदार रचना ...बधाई.
जवाब देंहटाएं_____________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है...
नोट: इस कविता के सभी पात्र काल्पनिक हैं...इसका किसी व्यक्ति विशेष से कोई सरोकार नहीं...ये मात्र भावों की अभिव्यक्ति है..अतः इसका गलत अर्थ न लगाएं
जवाब देंहटाएं... prabhaavashaalee abhivyakti ... sundar rachanaa !!!
बहुत अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो ब्लॉग अनुसरण कर उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया,
जवाब देंहटाएंबहुत दिन से आपके ब्लॉग पर आने की कोशिश कर रहा था पर नाकाम हो जा रहा था,
क्योंकि अकेला कलम... पर आपकी फोटो पर क्लिक करने पर भी आपके ब्लॉग का लिंक नजर नहीं आता,
सिर्फ आपके अनुसरण किये हुए ब्लॉग ही नजर आते हैं.
कृपया इस समस्या को हल करें,
धन्यवाद !
मधु जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
रोचक कविता है …
मीडिया … यारों , चीज बड़ी है कमाल !
यहां बिछा है हर तरफ
खबरों का ही मायाजाल …
संपादक रहते हैं हमेशा बेहाल !!
और भी श्रेष्ठ लिखें , बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut badiya madhu ji...congratulation
जवाब देंहटाएंham sochte hain ki ham patrakarita kar rahe hain..lekin ham patrakarita ka sirf kam hi karte hain or kisi ki naukari hi karte hain...
काश कोई समझ सके कि पत्रकारों की जिंदगी कितनी मुश्किल और अनिश्चितता भरी है। आपकी तारीफ करनी पड़ेगी कि इतने कम शब्दों में मीडिया हाउस का पूरा खांका ही खींच डाला आपने।
जवाब देंहटाएंसादर,
मृत्युंजय कुमार त्रिपाठी