शुक्रवार, अगस्त 27

पहचान छीन लेता है...

कोई हमसे हमारी पहचान छीन लेता है
कोई पल भर में सारे एहसान छीन लेता है
हंसते हैं कम कुछ पल के लिए अगर
तो कोई पल भर में सारी मुस्कान छीन लेता है


रेत पर हम बड़े अरमानों से बनाते हैं घरौंदा
लेकिन एक तूफान हमारे सारे अरमान छीन लेता है
हमारी सदियों की मेहनत को कोई...
बस यूं ही... हंस कर कोई सरेआम छीन लेता है

3 टिप्‍पणियां:

  1. भाव सुन्दर तरीके से उतारे आपने पन्ने पर.. मुस्तान को मुस्कान कर लीजिये मधु..

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  2. धन्यवाद दीपक जी...बताने के लिए
    दरअसल टाइप करने में गलती हो गई थी
    मैंने उसे सही कर लिया...

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