दूरदर्शन पर दिखाए जानेवाले इस गीत को आज भले ही हम भूल चुके हों और ये गीत आज हमारे अंदर कोई देशभक्ति की भावना न जगाती हो...लेकिन इस गीत को अब नए क्लेवर में 26 जनवरी से देश के सभी नामी-गिरामी चैनल परोस रहे हैं...पुराना गीत जहां दूरदर्शन तक ही सिमट कर रह गया था वहीं नए गीत ने सीमा लांघ ली है...सभी चैनल इसे प्राथमिकता के साथ चला रहे हैं....मिले सुर मेरा तुम्हारा गीत सुनकर तो आज की युवा पीढ़ी का बचपन गुजरा है...वहीं उस पीढ़ी के लोगों के लिए भी ये गीत काफी यादगार रहा है...उस समय चैनलों की इतनी होड़ नहीं हुआ करती थी...लोग दूरदर्शन पर ही आश्रित थे...
लेकिन आज तो चैनलों की आंधी सी आ गई है...विभिन्न चैनलों पर दिखाए जानेवाले इस नए गीत में देश के करीब सभी सुपरस्टार दिखाई दे रहे हैं जिनका सिक्का आज बॉलीवुड में चलता है...इसके साथ ही ऐसी दिग्गज हस्तियां भी नज़र आ रही है जो उद्योग जगत में देश ही नहीं दुनियाभर में अपनी साख रखते हो...मज़ेदार बात तो ये है कि इस विडियो में सरोद वादक, संतूरवादक और कई जानेमाने कलाकार अपनी अगली पीढ़ी के साथ दिख रहे हैं....जो वाकई कौतूहल पैदा करती हैं...अमान-अयान, अनुष्का शंकर और कई नए युवा वाद्य यंत्र वादक जो अपने पिता की तरह पहचान नहीं बना पाए...उन्हें इस गीत ने पहचान दिलाई है...इस गीत में अभिषेक बच्चन- ऐश्वर्या राय बच्चन, शाहरुख खान, जैकी श्राफ और जूही चावला को नए अंदाज़ में पेश किया गया है...सलमान खान का अंदाज़ लोगों को जरूर लुभाता है... मूक बधिर बच्चों के साथ जब वो सुर से सुर मिलाते हैं तो उन्हें देखकर दिल बाग-बाग हो जाता है...
नए गीत में कुछ पुराने चोहरों को भी तरज़ीह दी गई है...हालांकि इस पूरे गीत में भव्यता साफ-साफ झलकती है...चाहे मुकेश अंबानी और उनकी पत्नि का सेट हो या बिग बी अमिताभ बच्चन का...भव्यता और बिलासिता अपनी छाप छोड़ ही जाती है...पुराने गीत में जो सोंधी मिट्टी की खुशबू है...इस नए गीत में उसकी कमी खल जाती है...पुराने गीत के एक-एक शब्द और बोल से जैसे हमारा गहरा नाता हो...वो गीत लोगों की जुबान पर इस कदर चढ़ चुका है कि उतरना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा लगता है...ऐसे में नए गीत को लोग पचा नहीं पा रहे हैं...कहीं न कहीं कुछ तो कमी रह गई है...पुराने गीतों और फिल्मों को नए क्लेबर में परोसने की तो जैसे हमारे देश में परंपरा सी ही चल पड़ी है...या फिर यू कहें कि हॉलीवुड और दूसरी भाषाओं से बोल और धुन चुराने की आदत हो...इसे देखकर तो यही लगता है कि बॉलीवुड में नए आइडियाज का अकाल पड़ा हो...नए नए पॉकेट में बेचें तुमको चीज़ पुरानी वाली तर्ज को अपनाते हुए बॉलीवुड अलग-अलग प्रयोगों में जुटा है...लेकिन गौर करने वाली बात तो ये है कि जब भी रिमिक्स या पुरानी फिल्मों को नए अंदाज में पेश किया गया है...लोगों ने इनमें से ज्यादातर को ख़ारिज ही किया है...इक्के-दुक्के हिट हो गए तो पुराने जैसा करिशमा नहीं दिखा पाए हैं...यानी एक बार जो हिट हो गया दर्शक उसकी तुलना दर्शक तुरंत नए से करने लगते हैं...ऐसे में नए गीतों और फिल्मों से दर्शक ज्यादा ही उम्मीदें बांध बैठते हैं...तो फिर नए वर्जन में ख़ामी कहीं न कहीं मिल ही जाती है...और हम कहते हैं old is gold…
नए गीतों के साथ भी ऐसा ही हो रहा है..भले नए गीत में काफी प्रयोग किए गए हों...दो पल के लिए उसकी चकाचौध और आधुनिकता भले ही लुभा सकती हो लेकिन ये गीत ज्यादा देर के लिए हमारी पलकों पर नहीं ठहर सकता...गीत में आधुनिकता के सभी रंग भरे गए हों लेकिन पुराने गीत के सुरों की कमी खलती है इसके साथ ही जिस कदर पुराने गीत में देश के अलग-अलग क्षेत्रों की यादों और बोलियों को परोसा गया था उसकी कमी नए गीत में महसूस होती है...ऐसा लगता है जैसे पुराना गीत हमारे रोम-रोम में बसा हो भले ही आज हम उन्हें उतनी शिद्दत से ना सुनते हो...लेकिन उसकी एक-एक तान से लगता है हमारा गहरा नाता हो...हमारे ज़ेहन में आज भी वो गीत रचा बसा है ...मतलब ये कि
''नहीं मिला सुर मेरा...और...तुम्हारा''
''नहीं मिला सुर मेरा...और...तुम्हारा''
bilkul sahi...
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