मंगलवार, नवंबर 24

सनसनीख़ेज़ रिपोर्ट!




हंगामा खड़ा करना हमारा मक्सद नहीं…हमारी कोशिश है कि सूरत

बदलनी चाहिए...
मीडिया का मक्सद भी सनसनी फैलाना नहीं...मीडिया का मक्सद है...बस फिज़ा बदलनी चाहिए...लेकिन मीडिया अपने उद्देश्यों से कभी-कभी भटक जाती हैं...मीडिया को अपने दायरे में रहकर ही काम करना चाहिए ना कि अपने दायरों को भूलकर आज की आंधी दौड़ में शामिल हो जाना और सनसनी फैलाना अपना लक्ष्य बना लेने से काम चलेगा...माना की बाज़ार में खुद को स्थापित रखने के लिए मीडिया में हर रोज गलाकाट प्रतिस्पर्धा है लेकिन मीडिया को नहीं भूलना चाहिए की उसका काम ख़बरों से लोगों को अवगत करना है न की अपने हित को ध्यान में रखकर अपने स्वार्थों की पूर्ति करने मात्र से काम चल जाएगा...पिछले दिनों मीडिय का विभत्स चेहरा सामने आया...संसद के पटल पर लिब्रहान रिपोर्ट आने से पहले ही एक अंग्रेजी समाचार पत्र ने इसे प्रकाशित किया....जो कि बाकई एक गलत कदम है...किसी भी रिपोर्ट को सदन में पेश होने से पहले इसे प्रकाशित नहीं किया जा सकता...आखिर मीडिया को ये अधिकार दिया किसने हैं? क्या समाचार पत्र के प्रकाशक...प्रकाशन के सभी नियम और कायदों को भूल चुके हैं...क्या ये रिपोर्ट केवल अनुमान के तहत बनाई गई थी...किसी भी रिपोर्ट को प्रकाशित करने से पहले उनके पास पुख्ता सुबूत होने चाहिए क्या समाचार पत्र के पास इसके पुख्ता सुबूत मौजूद थे?...क्योंकि कल्पना के आधार पर संपादक किसी रिपोर्ट को अमली जामा नहीं पहना सकते... अब सलाव ये उठता है कि ये रिपोर्ट लीक हुई तो हुई कैसे? क्या गृहमंत्रालय ने इसे लीक किया? या फिर लिब्रहान रिपोर्ट को लीक होने में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एम एस लिब्रहान का योगदान रहा...ये काफी गंभीर मुद्दा है...खैर लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट लीक होने से संसद के दोनों सदनों में जैसे भूचाल सी आ गई...आखिर कैसे लीक हुई ये रिपोर्ट … ये एक गंभीर मुद्दा है...
बाबरी मस्जिद विध्वंस पर अपनी रिपोर्ट के ‘‘लीक’’ होने से क्षुब्ध एम एस लिब्रहान ने इसे लीक करने से साफ इनकार किया और कहा कि वह ऐसे ‘‘चरित्रहीन’’ व्यक्ति नहीं हैं जो मीडिया को रिपोर्ट लीक कर देंगे... उन्होंने मीडियाकर्मियों को ‘दफा हो जाने‘ को भी कहा.... लिब्रहान ने कहा, ‘‘रिपोर्ट पर मैं नहीं बोलूंगा....अगर मीडिया के पास रिपोर्ट है तो जाइए और पता लगाइए कि मीडिया को यह कहां से मिली और किसने रिपोर्ट दी.’’जब यह पूछा गया कि विपक्ष ने रिपोर्ट को ‘‘चुनिंदा तरीके से लीक’’ किये जाने का आरोप लगाया है तो लिब्रहान ने कहा, ‘‘विपक्ष को कुछ भी कहने दीजिए लेकिन इससे आपका तात्पर्य क्या है?’’ क्षुब्ध लिब्रहान ने भड़कते हुए कहा, ‘‘मेरे चरित्र को चुनौती मत दीजिए, दफा हो जाइये.’’ लिब्रहान ने कहा, ‘‘मैं ऐसा चरित्रहीन आदमी नहीं हूं कि संसद में पेश होने से पहले मीडिया को रिपोर्ट सौंप दूंगा.’’ हालांकि लिब्रहान की मीडिया के प्रति ये बेरुखी बिल्कुल वाजिब था... वहीं गृहमंत्री पी चिदंबरम ने भी दावा किया की रिपोर्ट की केवल एक कॉपी है जो बिल्कुल सुरक्षित है...विपक्षी दल भाजपा ने भी इस मुद्दे को सदन में खूब भुनाया... एक अखबार ने दावा किया था कि छह दिसंबर 1992 को हुए बाबरी विध्वंस की जांच करने वाले एक सदस्यीय लिब्रहान आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी और भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी को घटना में आरोपित किया है. लिब्रहान आयोग ने 17 साल का समय लिया और इस साल जून में अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी संघ परिवार के 68 नेताओं तथा नौकरशाहों की उस सूची में शामिल किया गया हैं, जिन्हें लिब्रहान आयोग ने अयोध्या मुद्दे पर देश को सांप्रदायिक वैमनस्य के मुहाने पर पहुंचाने का दोषी पाया। आयोग की भारी-भरकम रपट को संसद के दोनों सदनों में गृह मंत्री पी चिदंबरम ने पेश किया। न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह लिब्रहान की अध्यक्षता वाले आयोग ने 17 जून को अपनी रपट सरकार को सौंप दी थी। अयोध्या में 17 साल पहले बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जांच करने वाले लिब्रहान आयोग की लगभग 1000 पृष्ठ की रपट में भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं मुरली मनोहर जोशी और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह तथा गिरिराज किशोर एवं अशोक सिंघल जैसे विश्व हिंदू परिषद के शीर्ष नेताओं को भी दोषी ठहराया गया। वाजपेयी, आडवाणी और जोशी को भाजपा का छद्म उदारवादी नेतृत्व करार देते हुए आयोग ने कहा कि वे अयोध्या में 16वीं सदी के ढांचे को ढहाए …आयोग ने तीनों को दोषी करार देते हुए कहा कि इन नेताओं को संदेह का लाभ नहीं दिया जा सकता और उन्हें निर्दोष नहीं करार दिया जा सकता। रपट में कहा गया कि इन नेताओं ने जनता के विश्वास का उल्लंघन किया... लोकतंत्र में इससे बड़ी धोखाधड़ी या अपराध नहीं हो सकता ...जहां तक बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के सिलसिले में हुए मामलों का सवाल है, एटीआर में रायबरेली की विशेष अदालत में आठ आरोपियों के खिलाफ दायर मामलों और 47 अन्य मामलों का उल्लेख है और अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ भी एक मामला है। इन मामलों की सुनवाई तेज करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

आयोग की रिपोर्ट ने भाजपा में खलबली मचा दी...भाजपा को अलट बिहारी वाजपेई को रिपोर्ट में शामिल किए जाने पर ऐतराज है...वहीं उमा भारती ने इस मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि उनके पास पुख्ता सुबूत है जिससे वो साबित कर सकती हैं कि वो निर्दोश हैं...बहरहाल आयोग की रिपोर्ट से देश की एकता और अखंडता में कोई बदवाल नहीं आया है...जो काफी खुशी की बात है

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