रविवार, नवंबर 15

राज का गुंडाराज

महाराष्ट्र में चलता है ठाकरे परिवार का गुंडा राज...खासतौर से मुंबई में...ऐसा लगता है जैसे महाराष्ट्र उनके पूर्वजों की जागीर हो...भले ही राजा महाराजाओं के ठाट-बाट ख़त्म हो गए… लेकिन इस परिवार के ठाट-बाट आज भी बरकरार हैं...आज से नहीं बाल ठाकरे के समय से ही ये राज चलता आ रहा है...मुंबई तो जैसे उन्होंने खरीद ली हो...मराठी मानुषों की राजनीति करने वाला ये परिवार आए दिन विवादों में घिरा नजर आता है...
इस बार बाल ठाकरे का डंडा चला है क्रिकेट सम्राट सचिन तेंदुलकर पर क्रिकेट के महानायक सचिन तेंदुलकर ने अपने खेल के 20 साल पूरे करने पर खुद को पहले 'भारतीय' क्या कह दिया कि भारतीय राजनीति में अचानक ही एक नया भूचाल आ गया। मीडिया से मुखातिब सचिन ने कहा, 'मुंबई सबकी है। मैं भी मराठी हूं और मुझे इस पर गर्व है। लेकिन, सबसे पहले मैं एक भारतीय हूं।' शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने पार्टी के मुखपत्र सामना में सचिन की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि वह अपने अंतरराष्ट्रीय खेल का मैदान संभालें और खेल में उन्होंने जो कमाया है उसे राजनीति के मैदान में नहीं गवाएं। शिवसेना प्रमुख ने सचिन की आलोचना करते हुए कहा था कि उनके इस बयान से मराठी लोगों की नजरों में सचिन की इज्जत कम हो सकती है। उन्होंने कहा था कि मराठी मानुषों ने संघर्ष करते समय जिस समय मुंबई को हासिल किया था उस समय सचिन का जन्म भी नहीं हुआ था। जिस दिन पूरा देश सचिन की 20 वर्षीय उपलब्धियों पर उनकी शान में कसीदे काढ़ रहा था, उसी दिन शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे उनके एक देशभक्तिपूर्ण बयान पर उन्हें एक धिक्कार भरा पत्र लिखने में व्यस्त थे। ठाकरे और सचिन, दोनों ही मराठी मानुष। पर एक के सीमित सोच के चलते मराठी मानुष महाराष्ट्र में भी सिमटते जा रहे हैं, तो दूसरे की खूबियों के चलते उनकी बढ़ी प्रतिष्ठा के लिए दुनिया की सीमाएं भी छोटी पड़ जाती हैं...
ठाकरे ने करीब 42 साल पहले शिवाजी पार्क में दशहरे के दिन विशाल रैली करने की परंपरा डाली। इन्हीं रैलियों में अपनी तेजतर्रार शैली में भाषण देकर मुंबई महानगरपालिका से लेकर मंत्रालय तक की सत्ता पर काबिज होने में सफल रहे। इसी शिवाजी पार्क में सचिन तेंदुलकर भी रमाकांत आचरेकर सर की छत्रछाया में क्रिकेट के गुर सीखते हुए आगे बढ़े।



ठाकरे के सीमित सोच का ही परिणाम है कि गत विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी वो माहिम विधानसभा क्षेत्र भी गंवा बैठी, जिसमें शिवसेना प्रमुख के रणनीति का केंद्र रहा सेना भवन खड़ा है। वास्तव में यह हार ठाकरे के हाथ से फिसलते मराठी वोट बैंक का प्रतीक मानी जा रही है, जिसे रिझाने-फुसलाने के लिए बाल ठाकरे अब उस मराठी मानुष पर भी प्रहार करने से नहीं चूक रहे हैं, जो देश के साथ-साथ मुंबई का नाम भी सारी दुनिया में रोशन करता आ रहा है।
सचिन को लिखे ठाकरे के धिक्कारपूर्ण पत्र से आम मराठी मानुष भी सन्न है। सचिन पर ठाकरे की इस बेतुकी टिप्पणी की हर तरफ आलोचना हो रही है...भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड [बीसीसीआई] ने तो इसके लिए ठाकरे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई तक की मांग कर डाली।

वहीं करण जौहर की आनेवाली फिल्म "कुर्बान" के पोस्टर पर अश्लीलता फैलाने का आरोप लगाने वाली शिवसेना ने बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर को साडी भेजी हैं। शिवसेना के नेता जीतेंद्र जानवले ने करीना को 1200 रूपये की साडी भेजी। ताकि वह अपनी खुली पीठ ढक सकें। हालांकि करीना ने इस पर कोई कॉमेंट करने से इंकार किया हैं। हाल ही में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने करीना की आनेवाली फिल्म "कुर्बान" के पोस्टर में उनकी पीठ दिखाए जाने को लेकर गुस्से का इजहार किया था। शिवसेना नेता जितेंद्र जानवले ने कहा था कि मुझे समझ नही आता कि अधिकारी इस तरह के पोस्टर्स को पास कैसे कर देते हैं। रास्ते से महिलाएं और बच्चों भी गुजरते हैं। इस तरह के पोस्टर्स का उन पर क्या असर पडता होगा। इस पर करीना ने फिल्म "कुर्बान" के प्रमोशन के दौरान कहा था कि मुझे अब तक कोई साडी नहीं मिली हैं लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह अच्छी होगी। जनावाले के नेतृत्व में शिवसेना की महिला कार्यकर्ताओं ने करीना के उस पोस्टर के सामने साडी बांध दी थीं जिसमें उन्हें कम कपडों में दिखाया गया हैं। सैफ के साथ खुली पीठ दिखाने वाले पोस्टर को अभद्र बताए जाने पर करीना ने कहा, मुझे पोस्टर में कुछ भी गलत नहीं दिखा। मेरा मानना है कि यह बेहद सौंदर्यपरक हैं।

ठाकरे परिवार समय-समय पर फिल्म जगत से जुडे लोगों पर भी तानाशाही करने से नहीं चूकते...कभी किसी अभिनेता या अभिनेत्री की कोई हरकत बुरी लग जाती है तो कभी किसी दूसरे की...मतलब मुंबई में रहना है तो ठाकरे परिवार के समक्ष सिर झुका कर रहो...और ऊंची जुबान में बात की तो खैर नहीं

अब बात राज ठाकरे की....बालासाहब ठाकरे की तरह ही राज ठाकरे भी मुंबई में हिन्दीभाषियों को खदेड़ने में जुटे हैं...हाल ही में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई क्लर्क की परीक्षा में शामिल होने वाले ‘बाहरी अभ्यर्थियों’ का विरोध करते हुए उनके खिलाफ प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने सभी परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए और परीक्षा शांतिपूर्वक संपन्न हुई। पिछले साल ही परीक्षा में सम्मिलित होने वाले एक छात्र की मौत ने पूरा देश को हिला कर रख दिया था ...करीब दो साल पहले राज ठाकरे ने उत्तर भारतीयों के विरुद्ध ये अभिया शुरू किए था कि दूसरे राज्यों से छात्र यहां परीक्षा में सम्मिलित होने नहीं आ सकते...

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के विधायकों ने सारे नियमों और लोकाचार को धत्ता बताते हुए समाजवादी पार्टी के नेता अबु आजमी पर सदन के अंदर उस वक्त हमला कर दिया, जब वे हिंदी में शपथ ले रहे थे।सदन की कार्रवाई शुरू होने के बाद जब अबु आजमी ने हिंदी में शपथ लेना शुरू किया तो मनसे कार्यकर्ता खड़े होकर नारेबाजी करने लगे और उन्होंने अबू आजमी का माइक छीन लिया और उनका शपथ पत्र छीन लिया। उसके बाद वे धक्का-मुक्की करने लगे और अबू आजमी पर एक विधायक राम कदम ने थप्पड़ भी चलाया, जो उनको लगा। घटना के बाद सदन को 20 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया।
इस मामले ने भी देशभर में ठाकरे की जमकर आलोचना हुई...आजमी की बहू आयशा टाकिया ने तो राज ठाकरे को सीधी चुनौती देते हुए कहा है कि राज और उनके जैसे अन्य नेताओं को लात मारकर राज्य से बाहर निकाल देना चाहिए।
यानी अब ठाकरे परिवार का मराठी मानुषों बाला दाव काम नहीं कर रहा अब उन्हें कोई और मुद्दा तलाशने की जरूरत है...अब ये मुद्दा उनकी तरफदारी कम आलोचना ज्यादा दिला रही है...ठाकरे परिवार को मराठी मानुषों के दिल में राज करने का दूसरा हथकंडा अपनाना होगा...अब तो बच्चे भी ठाकरे परिवार पर ऊंगली उठाने से नहीं चूकते...
ठाकरे परिवार के सामने ये चुनौती है कि वो अपने परिवार के सभी सदस्यों को महाराष्ट्र में ही समेट कर रखे...क्या वो नहीं चाहते कि उनके परिवार के सदस्य दूसरे देशों की यात्रा करे वहां काम करें या देश के दूसरे राज्यों की सैर करें....क्या वो अपने परिवार को भी इसी दायरे में रख सकते हैं...
हर दूसरे घर में एक बिगड़ा शहजादा जन्म लेता है...और घर के दो टुकड़े हो जाते हैं...दो भाईयों में आपस में नहीं बनती...बिगड़े शहजादों के लिए घर तो बंट जाता है...लेकिन क्या किसी बिगड़े शहजादे के लिए क्षेत्र को बांटा जाना चाहिए...ऐसा होता रहा तो देश के न जाने कितने टुक्डे करने पड़ें...
महाराष्ट्र की जनता भी इतनी बेवकूफ नहीं...उन्हें देश के दूसरे राज्यों में जाने का हक है...घूमने का हक है देश दुनिया देखने का हक है अगर वो महाराष्ट्र में किसी दूसरे राज्यों के लोगों का आने या वहां रहने पर रोक लगाते हैं फिर भला वहां के मानुष किस मुंह से दुसरी जगह जा सकेंगे...रोजगार की तलाश कर
सकेंगे
ठाकरे के इन व्यवहारों ने ये प्रश्न खड़ा कर दिया है कि यदि लता मंगेशकर, सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर जैसी हस्तियां सिर्फ अपनी मातृभाषा के दायरे में रह कर अपने क्षेत्र में काम करते तो क्या वे सारी दुनिया की वाहवाही लूट पाते?


सीमाओं में देश को बांधना कितना उचित है...भाषा के आधार पर देश की जनता को जोड़ने की जरूरत है तोड़ने की नहीं...वैसे ही देश में कम समस्याएं नहीं हैं...लोग रंग- रूप...कार्य...धर्म संप्रदाय के आधार पर बंटे हैं उन्हें एक सूत्र में पिरोने की जरूरत है...



मंदिर...मस्जिद....गिरजाघर ने

बांट दिया भगवान को

धरती बांटी....सागर बांटा

मत बांटो इंसान को...मत बांटो इंसान को

4 टिप्‍पणियां:

  1. एकदम सही लिखे हैं।

    पर ईस सबके पिछे किसी बडे नेता का हाथ है।

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  2. अगर एम एन एस कि गुनडागर्दी महारास्ट्र मे चलती है और वो किसी यूपी,बिहार को नही आने देंगे तो वो भी गलती से यूपी,बिहार मे नही जाएंगे।

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  3. bahut badiya madhu g desh ke nagrik ko desh me kahi par bhi rahne kam karne our basne ka adhikar hai jise koi nahi chhin sakta.....

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